कोरोना संकट के बीच शहद की गुणवत्ता पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब 

इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को निर्देश दे कि शहद की पैकिंग कर बेचने वाले सभी कंपनियों को फूड सेफ्टी टेस्ट की रिपोर्ट लेना अनिवार्य हो.

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शहद की गुणवत्ता पर सवाल (फाइल फोटो) शहद की गुणवत्ता पर सवाल (फाइल फोटो)

संजय शर्मा / अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली ,
  • 19 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST
  • शहद की गुणवत्ता को लेकर याचिका
  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

कोरोना संकट में तमाम देसी नुस्खों के इस्तेमाल की वजह से शहद की भी मांग भी बढ़ी है. ऐसे में इसकी गुणवत्ता और मिलावटी शहद की खरीद-फरोख्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को निर्देश दे कि शहद की पैकिंग कर बेचने वाले सभी कंपनियों को फूड सेफ्टी टेस्ट की रिपोर्ट लेना अनिवार्य हो. रिपोर्ट ये बताए कि कौन-सा शहद खालिस है. 

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याचिका में कहा गया है कि पिछले साल शहद की बिक्री काफी बढ़ गई थी, क्योंकि लोग कोरोना संकट के दौर में परंपरागत चिकित्सा में इसका भी इस्तेमाल कर रहे हैं. 

मिलावट की आई थी रिपोर्ट 

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि लगभग सभी बड़े ब्रैंड के शहद में भी जबरदस्त मिलावट की जा रही है. सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट (CSE) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बताया था कि भारतीय बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी ब्रैंड में जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप (Sugar syrup) की मिलावट हो रही है. 

सिर्फ 3 ब्रैंड ही पास

संगठन का कहना था है कि 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रैंड ही पास हुए. 

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हालांकि देश के दो बड़े ब्रैंड डाबर और पतंजलि ने इस रिपोर्ट को गलत बताया था. डाबर ने बयान दिया था कि इस रिपोर्ट से ब्रैंड की छवि खराब हो रही है. कंपनी का कहना था कि उनका शहद जर्मनी से एनएमआर टेस्ट में सफल रहा है और भारतीय मानकों पर खरा उतरता है. 

 

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