ड्रैगन का कंपनियों को फरमान... कहीं भारत के हाथ ना लग जाए ये टेक्‍नोलॉजी, छिपाकर रखें रहस्‍य!

चीन ने इलेक्ट्रिक व्‍हीकल सेक्‍टर (EV Sector) की कंपनियों के लिए फरमान जारी कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के वाणिज्‍य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्‍यादा वाहन निर्माता कंपनियों के साथ मीटिंग की, जिसमें भारत में कोई भी व्‍हीकल संबंधी निवेश नहीं करने का निर्देश दिया गया. 

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चीनी ईवी कंपनियों के लिए फरमान चीनी ईवी कंपनियों के लिए फरमान

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली ,
  • 13 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:12 AM IST

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार (China Economy Growth) धीमी गति से ग्रो कर रही है. मंदी की आशंकाओं और महंगाई के कारण यहां से कई कंपनिया पलायन भी कर रही हैं. इस बीच, चीन ने इलेक्ट्रिक व्‍हीकल सेक्‍टर (EV Sector) की कंपनियों के लिए फरमान जारी कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के वाणिज्‍य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्‍यादा वाहन निर्माता कंपनियों के साथ मीटिंग की, जिसमें भारत में कोई भी व्‍हीकल संबंधी निवेश नहीं करने का निर्देश दिया गया. 

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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम चीन द्वारा अपने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंडस्‍ट्री के टेक्‍नोलॉजी की सुरक्षा करने और चीनी वाहन निर्माताओं के वैश्विक स्तर पर विस्तार के दौरान विनियामक जोखिमों को कम करने के लिए उठाया गया है. चीन ने ईवी सेक्‍टर की कंपनियों से कहा है कि वे विदेशों में बढ़ती मांग के बावजूद मुख्‍य उत्‍पादन चीन में ही रखकर बेहतर ईवी टेक्‍नोलॉजी की सेफ्टी पर फोकर करें. 

सिर्फ ईवी पुर्जे एक्‍सपोर्ट करने पर करें फोकस- चीन 
रिपोर्ट के अनुसार, चीन की ईवी कंपनियों को नॉक डाउन किट एक्‍सपोर्ट करने के लिए प्रेरित किया गया है. नॉक-डाउन किट का मतलब चीन में बनाए गए वाहन के पुर्जे, जिन्‍हें फिर विदेशी प्‍लांटों को भेजा जाता है. इससे चीनी ईवी कंपनियों के उत्‍पादन प्रोसेस पर कंट्रोल भी होगा और बनाए गए ईवी पर लगने वाले टैरिफ से भी मुक्ति मिलेगी. 

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ये दिशानिर्देश ऐसे समय में आए हैं जब चीनी वाहन निर्माता कंपनियां टैरिफ से बचने के लिए अपने परिचालन को ग्‍लोबल बनाने का प्रयास कर रही हैं, जबकि उन्हें घरेलू बाजार में तगड़ा कम्‍पटिशन और धीमी बिक्री का सामना करना पड़ रहा है. 

चीन के सामने खड़ा हो सकता है ये संकट
उत्पादन को चीन के भीतर ही रखने से उनके विस्तार के प्रयासों में बाधा पैदा हो सकती है और यूरोप जैसे देशों के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो आर्थिक विकास और रोजगार पैदा के लिए चीनी निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्सुक हैं. साथ ही कई कंपनियों के लिए कमाई पर भी असर हो सकता है. 

उदाहरण के लिए, तुर्की में BYD 150,000 कारों की सालाना क्षमता वाला कारखाना बनाने की योजना बना रही है, जबकि स्पेन में चेरी ऑटोमोबाइल ने निसान के पुराने प्‍लांट को फिर से खोलने के लिए एक स्थानीय फर्म के साथ डील की है. 

बता दें कि यह निर्देश न केवल भारत पर लागू है, बल्कि तुर्की जैसे अन्य देशों पर भी लागू है. जहां वाहन निर्माताओं को निवेश करने से पहले चीन के उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को जानकारी देनी होगी और अनुमति लेनी होगी. 

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