वस्तु और सेवा कर (GST) डिपॉर्टमेंट के पास ऐसे भी पावर हैं, जो आपके बैंक अकाउंट को ब्लॉक कर सकता है. केंद्रीय जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 83 और जीएसटी नियमों के नियम 159 के तहत यह अधिकार दिया गया है. हालांकि जीएसटी डिपॉर्टमेंट इसका इस्तेमाल तभी कर सकता है, जब आपने कुछ गलतियां की हों.
इन गलतियों में टैक्स चोरी या धोखाधड़ी जैसी चीजें शामिल हैं. इनकी जांच के दौरान भी जीएसटी डिपॉर्टमेंट के तहत बैंक अकाउंट्स को फ्रीज करने का अधिकार है. जीएसटी विभाग इन अधिकारों का उपयोग बहुत कम और असाधारण परिस्थितयों में ही करता है, जहां सरकारी राजस्व को खतरा हो सकता है. अधिकारी इस नियम को गंभीर अनियमितताओं का संदेह होने पर लागू एक वित्तीय सुरक्षा उपाय मानते हैं.
बैंक आकाउंट कब ब्लॉक होता है?
जीएसटी ढ़ाचे के अनुसार, बैंक अकाउंट फ्रीज करने की कार्रवाई आमतौर पर फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट आईटीसी) दावों, वस्तुओं या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना चालान जारी करने, जीएसटी कलेक्शन तो करने पर उसे सरकार के पास जमा न करने, फर्जी संस्थाओं का पता लगाने, ऑडिट के दौरान सामने आई विसंगतियों, या जांच अधिकारियों के साथ असहयोग के मामलों में की जाती है.
CA सिद्धार्थ सुराना बताते हैं कि जीएसटी कानून विभाग को टैक्सपेयस की संपत्ति, जिसमें बैंक अकाउंट भी शामिल हैं, को कुर्क करने का अधिकार देता है. जब टैक्सपेयर्स के खिलाफ कार्यवाही से राजस्व को संभावित रिस्क का संकेत मिलता है. उन्होंने कहा कि यह अधिकार मनमाना नहीं है. इसके साथ प्रथम दृष्टया ऐसे साक्ष्य होने चाहिए जो दर्शाते हों कि राजस्व के हितों की रक्षा के लिए अस्थायी कुर्की आवश्यक है. बकाया राशि की सुरक्षा के अलावा, कुर्की तब भी की जा सकती है जब अधिकारियों को लगता है कि टैक्स की मांग बाद में वसूल नहीं की जा सकती, जब ऐसे सबूत हों कि टैक्सपयेर्स या कंपनी के अधिकारी फरार हो सकते हैं या जब करदाता बार-बार विभागीय नोटिस का जवाब देने में विफल रहते हैं.
कैसे पता चलेगा आपका अकाउंट हो गया ब्लॉक
करदाताओं को आमतौर पर अपने बैंक के जरिए या भुगतान के असफल प्रयासों के बाद अकाउंट बंद की जानकारी मिलती है. सुराना बताते हैं कि कानूनी तौर पर, विभाग को एक औपचारिक कुर्की आदेश जारी करना होता है और उसे करदाता के जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करना होता है. साथ ही अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता के पंजीकृत ईमेल पर भी भेजना होता है. बैंकों को भी जीएसटी अधिकारियों से यही आदेश मिलता है और वे तुरंत बाहरी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए बाध्य होते हैं. इसका असर बाउंस चेक, ब्लॉक किए गए ऑनलाइन ट्रांसफर या अस्वीकृत डेबिट लेनदेन के रूप में दिखाई देता है.
फ्रीज किए गए खाते को कैसे सही करें?
एक बार अटैच हो जाने के बाद, बैंक खाते पर लगी रोक हटाने के कई तरीके हैं. पहला कदम जीएसटी पोर्टल के माध्यम से सीधे नोटिस का जवाब देना है. टैक्सपेयर्स का स्टेटस चेक करें और कर भुगतान के प्रमाण या सुलह जैसे सहायक दस्तावेज प्रोवाइड कराएं. अगर अधिकारी संतुष्ट होते हैं, तो वे फॉर्म जीएसटी डीआरसी-23 जारी करते हैं. यह एक आधिकारिक रिलीज़ ऑर्डर जिसमें बैंक को रोक हटाने का निर्देश दिया जाता है. टैक्सपेयर्स वैकल्पिक सुरक्षा उपाय, जैसे बैंक गारंटी, एस्क्रो व्यवस्था या विवादित राशि का आंशिक जमा, देकर आंशिक राहत का अनुरोध भी कर सकते हैं.
आजतक बिजनेस डेस्क