क्या गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी चीन की कंपनियों (Chinese Companies) से बिजनेस डील करने वाले हैं? ये सवाल हम नहीं पूछ रहे, बल्कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है. इसमें सूत्रों के हवाला देते हुए बताया गया कि अडानी ग्रुप के चेयरमैन पिछले सप्ताह चीनी फर्म BYD के अधिकारियों के साथ बातचीत की अगुवाई कर रहे थे. इस रिपोर्ट पर अडानी ग्रुप (Adani Group) की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया आई है और बयान जारी कर इस तरह की खबरों को निराधार और गलत बताया है.
अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट को किया खारिज
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी ग्रुप भारत में बैटरी निर्माण के लिए चीनी कंपनियों BYD और बीजिंग वेलियन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी के साथ डील कर सकता है. यह समझौता शेन्जेन स्थित हेडक्वार्टर के साथ नहीं, बल्कि BYD की सहायक कंपनियों के साथ किया जाएगा.
इस डील को लेकर जारी बातचीत को रिपोर्ट में शुरुआती चरण में बताया गया था. अब Adani Group का इस रिपोर्ट पर बयान आया है और इसे गलत, भ्रामक और निराधार बातते हुए कहा गया है कि हम इस तरह के दावों को खारिज करते हैं और चीनी कंपनियों के साथ करार की कोई संभावना नहीं है.
BYD के पास किफायती बैटरी तकनीक
रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि सबसे उन्नत और किफायती रिचार्जेबल बैटरी तकनीक BYD जैसी चीनी कंपनियों के पास ही है, जो दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की टॉप सेलर कंपनियों में से एक है. जबकि अडानी समूह का टारगेट इलेक्ट्रिक वाहनों और स्थिर ऊर्जा भंडारण, दोनों में उपयोग के लिए लिथियम-आयन बैटरी का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू करना है. अडानी ग्रुप की चीनी कंपनियों के साथ साझेदारी में किसी भी तरह की रुकावट न होने का दावा भी रिपोर्ट में किया गया था.
'चीनी कंपनियों से डील की संभावना नहीं'
डील को लेकर आई रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी ग्रुप ये करार ऐसे समय में करने जा रहा है, जब वह स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ाने पर फोकस कर रहा है. वहीं ग्रुप की ओर से जो बयान जारी किया गया है उसमें दो टूक कहा गया है कि, 'हम 4 अगस्त 2025 की इस रिपोर्ट का स्पष्ट तौर पर खंडन करते हैं, जिसमें अडानी समूह और चीनी कंपनियों BYD तथा बीजिंग वेलियन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी के बीच गठजोड़ को लेकर दावा किया गया है.
Gautam Adani का ग्रुप भारत में बैटरी निर्माण के लिए BYD के साथ किसी भी प्रकार के सहयोग की संभावना नहीं तलाश रहा है और न ही हम बीजिंग वेलियन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी के साथ किसी डील को लेकर चर्चा कर रहे हैं.
गौरतलब है कि भारत और चीन दोनों के बीच करीब एक दशक से सीमा विवाद चल रहा है. इसके अलावा China भारत और किसी भी साउथ-ईस्ट एशियाई देश को टेक्नोलॉजी या उपकरणों के ट्रांसफर को भी रोकना चाहता है. बीते दिनों चीन द्वारा दुर्लभ अर्थ मैटेरियल्स पर लगाए गए प्रतिबंधों का सीधा असर भारतीय कार मैन्युफैक्चरर पर भी देखने को मिला है.
आजतक बिजनेस डेस्क