देश में जाति आधारित गणना करवाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल अब आंदोलन करने की तैयारी कर रही है. आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी 2023 में किए गए जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों को संविधान की अनुसूची 9 में शामिल करने की मांग को लेकर 1 सितंबर को आंदोलन करेगी.
बिहार में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में तेजस्वी यादव खुद शामिल होंगे. उन्होंने कहा, "हमने पहले भी इसका उल्लेख किया है. हमारी सरकार ने ओबीसी, एससी और एसटी के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया था, हमने इसे अनुसूची 9 में शामिल करने की बात कही थी. मामला विचाराधीन है. हम जानते थे कि भाजपा ऐसा नहीं चाहती थी. वह आरक्षण को खत्म करना चाहती थी, इसलिए उसने इसे अनुसूची 9 में शामिल नहीं किया.'
केंद्र और नीतीश पर तेजस्वी का निशाना
तेजस्वी यादव कहते हैं, 'कल पूरे बिहार में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन है. पहली बार हमने जाति आधारित सर्वेक्षण कराया और उसके बाद हमने आरक्षण को 65 प्रतिशत बढ़ाने का काम किया और उसके बाद हमने केंद्र सरकार को एक नोट भी भेजा कि इस आरक्षण की रक्षा के लिए इसे नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन भारत सरकार ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.'
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नीतीश को निशाने पर लेते हुए तेजस्वी ने कहा, 'यह साफ दिख रहा है कि भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़ों, दलितों के खिलाफ हैं और चाहे कुछ भी हो जाए, हमारी पार्टी और हमारे लोग इस आरक्षण को शामिल करेंगे जिसे हमने नौवीं अनुसूची में बढ़ाया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर चुप हैं. वह किसी भी तरह से बस मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं.'
हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था फैसला
गौरतलब रहे कि बिहार में 65 फीसदी आरक्षण करने का मामला पटना हाईकोर्ट पहुंच गया था. जून में बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट से झटका लगा. आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने राज्य सरकार के द्वारा लाये गये कानून को रद्द करने का आदेश दिया है.
जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए कोटा बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए दो प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिए 18 प्रतिशत कर दिया था.
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चिराग का बयान
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने जाति जनगणना के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था. पासवान ने कहा कि जाति जनगणना आवश्यक है, क्योंकि कई सरकारी योजनाएं जाति को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं. भारतीय संविधान की अनुसूची 9 में केन्द्रीय और राज्य कानूनों की सूची है, जिन्हें अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती.
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