जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने स्वीकार किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में खुद उम्मीदवार के रूप में मैदान में न उतरना उनकी गलती मानी जा सकती है. हालिया चुनावों में पार्टी के एक भी सीट न जीत पाने और वोट शेयर 4 प्रतिशत से भी कम रहने के बाद उन्होंने यह बयान दिया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में किशोर ने कहा, “चुनाव न लड़ने का मेरा फैसला गलती माना जा सकता है. हमें संतोषजनक नतीजा पाने के लिए अभी बहुत काम करना है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारी पार्टी को 4 प्रतिशत से कम वोट मिलेंगे.”
उन्होंने साफ किया कि उनकी लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती. पीके ने कहा, “मैं बिहार जीते बिना पीछे नहीं हटूंगा. इसमें कितना समय लगेगा, मैं नहीं जानता, लेकिन कोशिश जारी रहेगी.”
प्रशांत किशोर इससे पहले मंगलवार को यह भी दावा कर चुके हैं कि अगर चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार सरकार ने बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ नहीं बांटे होते, तो जेडीयू की सीटें 25 तक सीमित रह जातीं.
उनके मुताबिक, सरकार ने हर विधानसभा क्षेत्र में 60,000 से अधिक लाभार्थियों को 10,000 रुपये दिए और 1.5 करोड़ महिलाओं को 2 लाख रुपये देने का वादा किया, जो स्वयं-रोजगार योजना के तहत किया गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने कुल 40,000 करोड़ रुपये का वादा किया और उसका एक बड़ा हिस्सा चुनावों से ठीक पहले जारी किया, जिससे चुनावी माहौल को प्रभावित किया गया.
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