बिहार की नीतीश कुमार सरकार में मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. सूत्रों के मुताबिक यह विस्तार अगले महीने यानी जनवरी में मकर संक्रांति के बाद किया जा सकता है. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों को और बल मिला है.
दरअसल, वर्तमान में नीतीश मंत्रिपरिषद में कुल 10 मंत्री पद खाली हैं. इनमें छह पद जेडीयू और चार पद बीजेपी कोटे के हैं. बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. एनडीए मंत्रिपरिषद के तय फार्मूले के अनुसार बीजेपी के हिस्से 17, जेडीयू के पास 15 (मुख्यमंत्री समेत), एलजेपी के दो और हम व आरएलपी को एक-एक मंत्री पद निर्धारित हैं. इस लिहाज से अभी जेडीयू के छह और बीजेपी के चार मंत्री बनाए जाने की गुंजाइश बनी हुई है.
अति पिछड़े वर्ग के नेताओं को मिल सकती है जगह
सूत्रों के अनुसार, आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत, सामाजिक और राजनीतिक संतुलन को खास तौर पर साधा जाएगा. जेडीयू की ओर से कुशवाह समाज और अति पिछड़े वर्ग से आने वाले नेताओं को मंत्री बनाए जाने की तैयारी है. माना जा रहा है कि इससे आगामी राजनीतिक चुनौतियों और सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
जेडीयू के मंत्रियों का बोझ होगा कम
फिलहाल जेडीयू कोटे के कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं. जेडीयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास पांच विभाग, विजय चौधरी के पास चार विभाग जबकि श्रवण कुमार और सुनील कुमार के पास दो-दो विभाग हैं. इसी तरह बीजेपी कोटे से विजय सिंह, मंगल पांडेय और अरुण शंकर प्रसाद के पास भी दो-दो विभाग हैं. ऐसे में मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद कुछ विभाग नए मंत्रियों को सौंपे जा सकते हैं, जिससे मौजूदा मंत्रियों का कार्यभार कम होगा.
सूत्रों का यह भी कहना है कि जेडीयू के पास इस बार नए चेहरों को मौका देने की पर्याप्त गुंजाइश है. पार्टी संगठन और सरकार के बीच संतुलन बनाते हुए ऐसे नेताओं को आगे लाया जा सकता है, जो अब तक सत्ता से दूर रहे हैं.
हिमांशु मिश्रा