Bihar Political Crisis: बिहार में बीते 72 घंटे से सियासी ड्रामा जारी है. एक तरफ नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए के पाले में जाकर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं तो दूसरी तरफ आरजेडी भी अपने दम पर सरकार बनाने की जुगत में लगी हुई है.
इसी बीच तीन दिनों से लगातार चल रही मैराथन बैठकों के बाद बीजेपी ने नीतीश कुमार के लिए फिर से मुख्यमंत्री बनने की ऐसी शर्त रख दी है जिसको लेकर जेडीयू कश्मकश में है.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी ने नीतीश कुमार के सामने शर्त रखी है कि वो पहले मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दें जिसके बाद बीजेपी और एनडीए के अन्य घटक दल उन्हें विधायकों का समर्थन पत्र देंगे. इस्तीफे के बाद ही एनडीए की विधायक दल की बैठक होगी जिसमें उन्हें (नीतीश) एनडीए का विधायक दल का नेता चुना जाएगा.
जेडीयू में क्यों है कश्मकश
अब सूत्रों के हवाले से ये खबर भी सामने आई है कि बीजेपी की इस शर्त पर जेडीयू कशमकश में है. जेडीयू के बड़े नेता विधायक दल की बैठक में ये प्रस्ताव रखेंगे कि पहले बीजेपी अपना समर्थन पत्र दे, उसके बाद ही मुख्यमंत्री इस्तीफा देंगे. जेडीयू के नेताओं को डर है कि कहीं बीजेपी नीतीश कुमार से पहले इस्तीफा दिलवाकर कोई खेल ना कर दें और फिर राज्यपाल के द्वारा विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दी जाए.
एक तरफ जहां बीजेपी नीतीश कुमार के राजभवन जाकर इस्तीफा देने का इंतजार कर रही है वहीं जेडीयू खेमे में बीजेपी की शर्त को लेकर आशंका है. जेडीयू सूत्रों ने बताया कि सुबह 10 बजे विधायक दल की बैठक के दौरान कुछ जेडीयू एमएलए नीतीश कुमार के सामने अपनी आशंका व्यक्त करेंगे कि बीजेपी के समर्थन पत्र साझा किए बिना, सीएम को इस्तीफा नहीं देना चाहिए क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बीजेपी अपने वादे पर कायम रहेगी.
पार्टी के कुछ नेताओं को चिंता है कि भाजपा नीतीश को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर सकती है और फिर विधानसभा को भंग करने के लिए बाध्य कर सकती है. जेडीयू को आशंका है कि इस तरह का झटका जेडीयू के अस्तित्व को ही खत्म कर सकता है. ऐसे किसी फैसले के बाद पार्टी में भगदड़ मच जाएगी और विधायक अन्य दलों में शामिल होने की कोशिश में लग जाएंगे.
नीतीश कुमार ने कब-कब बदला पाला
नीतीश कुमार ने साल 1994 में पहली बार जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बनाई थी. इसके बाद 30 अक्टूबर 2003 को जनता दल यूनाइटेड का गठन किया और 2005 के चुनाव में बीजेपी से गठबंधन किया. साल 2013 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया.
इसके बाद नीतीश कुमार ने साल 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. फिर साल 2017 में नीतीश आरजेडी को छोड़कर एक बार फिर बीजेपी के साथ आए गए.
चार साल बाद नीतीश कुमार ने साल 2022 में एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़ दिया और आरजेडी से हाथ मिला लिया. अब फिर डेढ़ साल बाद नीतीश के आरेजडी को छोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन करने की अटकलें हैं.
बिहार में अभी सीटों का समीकरण
बिहार में अभी बीजेपी के पास विधानसभा की 78 सीटें हैं जबकि जेडीयू के पास 45 विधायक हैं. वहीं एनडीए की सहयोगी पार्टी हम के पास 4 विधायक हैं. अगर इन सबको जोड़े दें ते ये आकंडा 127 का होता है. अगर आरजेडी जेडीयू के कुछ विधायकों को तोड़ती है तो ऐसे में कांग्रेस के 10 बागी विधायक नीतीश और बीजेपी की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
हिमांशु मिश्रा / पॉलोमी साहा