सड़क दुर्घटनाओं के लिए सिर्फ लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस धारको को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. दुर्घटनाओं की दूसरी वजह भी है. इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने निर्णय दिया कि LMV (लाइट मोटर व्हीकल) लाइसेंस धारक 7500 किलो से हल्के ट्रांसपोर्ट वाहन भी चला सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 2017 के अपने फैसले को बरकार रखा. जिसमें LMV लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहनों को चलाने की अनुमति दी गई थी. यानी लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस धारकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है.
अब LMV लाइसेंस धारक 7500 किलोग्राम भार वाले ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकेंगे. दुर्घटना होने पर बीमा कंपनियां क्लेम देने से मना नहीं कर सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल पर अपना फैसला सुनाया कि क्या लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस धारक चालक 7,500 किलोग्राम तक के वजन वाले कमर्शियल वाहन को चलाने का अधिकार है?
इस मुद्दे पर सीजेआई की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 21 अगस्त को सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा था. संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सड़क सुरक्षा विश्व स्तर पर एक गंभीर मसला है. भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 2023 में 1.7 लाख लोगों की मौत हुई है. इस बाबत यह कहना कि ये सब हल्के वाहन चालकों के कारण हुआ ये निराधार है. इसके पीछे सीट बेल्ट नियमों का पालन न करना, मोबाइल का उपयोग, नशे में होना इत्याआदि जैसे बहुत से कारण हैं. वाहन चलाने के लिए विशेष स्किल्स की जरूरत होती है और सड़क की परिस्थितियों से निपटने के लिए ध्यान देने और ध्यान भटकाने से बचने की आवश्यकता होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत का ये फैसला हल्के वाहन चालको द्वारा बीमा दावा करने में भी मदद करेगा, जो 7500 किलोग्राम से कम वजन वाले वाहन चलाते है. लाइसेंसिंग व्यवस्था स्थिर नहीं रह सकती, हम आशा करते हैं कि मौजूदा खामियों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा उपयुक्त संशोधन किए जाएंगे और अटॉर्नी जनरल ने आश्वासन दिया है कि ऐसा ही किया जाएगा.
संजय शर्मा