गाय के गोबर से दवाएं और प्रोडक्ट बना रही ये महिला, लोगों को मिल रहा रोजगार

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में सीमा कुमारी गाय के गोबर से दवाएं औररोजाना उपयोग होने वाले कई अन्य प्रोडक्ट भी बना रही हैं. इसके जरिए वह कई लोगों को रोजगार दे रही हैं. फिलहाल, उनके प्रोडक्ट को स्थानीय लोगों के साथ-साथ अब व्यवसायी भी खरीद रहे हैं.

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गाय के गोबर से दवाएं और प्रोडक्ट बना रही ये महिला गाय के गोबर से दवाएं और प्रोडक्ट बना रही ये महिला

अभिनेश सिंह

  • औरंगाबाद,
  • 12 जून 2023,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST

गाय के गोबर का उपयोग कर भी बंपर मुनाफा कमाया जा सकता है. ऐसा कर दिखाया है उत्तर प्रदेश से महाराष्ट्र के रहने वाली सीमा कुमारी ने. सीमा गोबर से  देवी-देवताओं की मूर्तियां के साथ-साथ दीया, अगरबत्ती, गमला, चाभी रिंग, रुद्राक्ष माला बना रही हैं. इसके अलावा वह गोबर की मदद से कई जीवन रक्षक दवाएं भी बनाकर बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं. 

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अपने काम से लोगों को मुहैया करा रही हैं रोजगार

सीमा कुमारी अपने इस प्रयास से कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. वह पिछले कई सालों से झारखंड में अपने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं. औरंगाबाद के कुछ लोगों ने इन्हें बुलाकर जिले के कुटुंबा थाना के चपरी गांव स्थित गौशाला में रह रहीं गायों के गोबर से प्रोडक्ट बनाने की पेशकश की. उसके बाद से सीमा कुमारी अपने इस काम से मुनाफा तो कमा रही हैं अन्य लोगों के लिए रोजगार पैदा कर रही हैं.

गोबर  से बना रहीं कई प्रोडक्ट

चपरी गांव स्थित गौशाला में शुद्ध देसी दूध से निर्मित होने वाले कई मिठाईयां भी बनती हैं. दही की उत्तम क्वालिटी के साथ उनसे कई अन्य प्रोडक्ट भी तैयार किया जाते हैं. गोबर की रस निकाल कर कई प्रकार की दवा भी बनाए जा रहे हैं. इन दवाओं की मदद से घर से  मक्खी मच्छर के साथ-साथ अन्य कीटाणु दूर भगाए जा सकते हैं. यहां दवाओं के कई ऐसे प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं जो लोगों के जीवन को बचाने में कारगर साबित होत सकते हैं. धीरे-धीरे लोगों में जब गोबर से बने दवाइयां की डिमांड भी बढ़ने लगी है.

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औरंगाबाद से पहले कई सालों तक झारखंड में इस प्रोजेक्ट पर किया काम

सीमा कुमारी कहती हैं कि आज के दौर में लोग गोबर को बेकार समझते हैं. इसके महत्व को नहीं समझते हैं. मैंने इसे समझा. पहले 5 साल उत्तर प्रदेश में काम किया. फिर झारखंड पहुंची. कई सालों तक झारखंड में इसपर काम किया. फिर औरंगाबाद से बुलावा आया. पिछले किछ समय से औरंगाबाद के इस गौशाला से  गोबर से कई जीवन रक्षक दवाइयां बना रही हूं. इसके अलावा कई अन्य रोजाना उपयोग होने वाले प्रोडक्ट भी बना रही हूं.  लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दे रही हूं. स्थानीय लोगो के साथ-साथ व्यवसायी भी अब हमारे प्रोडक्ट ले जा रहे हैं.

 

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