Subsidy on Solar Pump: देश में इस वक्त कई राज्य भारी बिजली संकट का सामना कर रहे हैं. लोग हलकान-परेशान तो हो ही रहे हैं. साथ ही, किसानों को भी इस वजह से बेहद नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान अपनी फसलों की सिंचाई तक समय से नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में वैकल्पिक तरीका अपनाने के कारण खेती में किसानों की लागत बढ़ती जा रही है.
25 वर्षों तक स्थायी आमदनी का खुलेगा स्रोत
इस वक्त में किसानों के लिए पीएम कुसुम योजना काफी फायदेमंद हो सकती है. योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर किसानों को सोलर पंपो पर सब्सिडी प्रदान करती है. सरकार 35 लाख से अधिक किसानों के कृषि पंपों का सौरीकरण करने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इस योजना का लाभ उठाने से कृषि भूमि मालिकों के लिए 25 वर्षों तक के लिए एक स्थायी और लगातार आमदनी का स्रोत खुल जाएगा.
प्रदूषण में आएगी कमी
इस घटक के तहत, व्यक्तिगत किसान अपने मौजूदा डीजल पंपों को हटाकर सौर पंप लगा सकते हैं. ऐसा करने से ना केवल किसानों के खेती के लागत में कमी आएगी बल्कि इससे प्रदषूण में भी कमी आएगी. इस घटक से ऐसे ऑफग्रिड क्षेत्रों में, जहां सिंचाई के लिए विद्युत का कोई स्रोत नहीं है वहां आमदनी बढ़ाने और जीवन-स्तर में सुधार लाने में मदद मिलेगी.
बन सकते हैं लखपति
सोलर पंप का उपयोग कर किसान अपने खेतों की सिंचाई कर ही सकते हैं. इसके अलावा अपने अनउपजाऊ जमीन पर सोलर संयंत्र लगा कर हर महीने एक निश्चित आय भी कमा सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, एक मेगावट सौर उर्जा सयंत्र की स्थापना के लिए लगभग 4 से 5 एकड़ भूमि की जरूरत होती हैं. इससे एक साल में तकरीबन 15 लाख बिजली यूनिट का उत्पादन किया जा सकता है. बिजली विभाग द्वारा इसे लगभभ 3 रुपये 7 पैसे के टैरिफ पर खरीदा जाता है. ऐसे में किसान सोलर पंप संयंत्र से आसानी से सालाना 45 लाख तक की आय हासिल कर सकता है.
इतने प्रतिशत मिलती है सब्सिडी
योजना के तहत, स्टैण्ड अलोन पंप की बेंचमार्क लागत (एम. एन.आर.ई. द्वारा प्रति वर्ष निर्धारित) के 30 प्रतिशत तक केन्द्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान की जाएगी. राज्य सरकार द्वारा 30 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी और शेष 40 प्रतिशत का भुगतान किसान द्वारा किया जाएगा. किसान द्वारा 40 प्रतिशत हिस्से में से 30 प्रतिशत तक बैंक ऋण भी लिया जा सकता है, ताकि किसान को शुरुआत में पंप की कुल लागत के लिए मात्र 10 प्रतिशत का भुगतान करना पड़े. वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूहों में स्टैण्ड-अलोनपंप की बेंचमार्क लागत के 50 प्रतिशत तक उच्च केन्द्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
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