दूध की बहेगी नदियां, घी का लगेगा अंबार... ये 7 नस्ल की भैंसों से मिलेगा तगड़ा मुनाफा

पशुपालक भैंस की बेस्ट नस्ल का पालन करके कई फायदे पा सकते हैं. अच्छी नस्ल की भैंसें न केवल अधिक मात्रा में दूध देती हैं, बल्कि उनके दूध से बनने वाला घी भी उच्च गुणवत्ता का होता है. यही कारण है कि सही नस्ल का पालन आय बढ़ाने और बेहतर उत्पादन पाने में फायदेमंद माना जाता है. आइए जानते हैं ऐसी 7 बेहतरीन भैंस की नस्लें, जिनकी मदद से आप अधिक दूध और बेहतर घी प्राप्त कर सकते हैं.

Advertisement
इन 7 भैंसों का पालन करना बेहतर मुनाफा देगा (Photo: Pexels) इन 7 भैंसों का पालन करना बेहतर मुनाफा देगा (Photo: Pexels)

आजतक एग्रीकल्चर डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

भैंसों का पालन पशुपालकों के लिए फायदेमंद विकल्प बन सकता है. सही नस्ल का चुनाव और उचित जानकारी से पशुपालक न केवल दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाला दूध बेचकर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. भारत की कई खास नस्लों की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पशुपालन और डेयरी विभाग ने शेयर की है. आप इन नस्लों का पालन करके लंबे समय तक लाभ पा सकते हैं.

Advertisement

मुर्रा भैंस
मुर्रा भैंस को भारत की एक सबसे भरोसेमंद और फेमस नस्ल मानी जाती है. यह मुख्य रूप से हरियाणा के इलाकों में पाई जाती है. यह भैंस अपने काले चमकदार रंग, मजबूत शरीर और घुमावदार सींगों की वजह से जानी जाती है. मुर्रा भैंस का दूध गाढ़ा, पौष्टिक और डेयरी किसानों की कमाई के लिए फायदेमंद माना जाता है. इस भैंस की अच्छी देखभाल और सही खान-पान का ख्याल रखने पर यह लंबे समय तक लगातार दूध दे सकती है. यह भैंस हर दिन 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है. इसके दूध में वसा की मात्रा 7% होती है.

जाफराबादी भैंस 
जाफराबादी भैंस, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र  (खासकर जूनागढ़, भावनगर, अमरेली, जामनगर, राजकोट और पोरबंदर) की एक विशिष्ट नस्ल है. इस भैंस को जाफराबाद शहर के नाम से जाना जाता है. यह नस्ल भारतीय भैंसों में सबसे भारी और बड़े आकार की मानी जाती है. इसका वजन 800 किलोग्राम से 1 टन तक होता है. ये भैंस केवल 4 किलो चारा खाकर हर दिन करीब 30 लीटर तक दूध देती है.

Advertisement

मेहसाना भैंस
मेहसाना भैंस भारत की एक खास नस्ल है. यह खास भैंस मुख्य रूप से गुजरात में पाई जाती है. यह भैंस मध्यम आकार, काले रंग की रेशेदार कोट वाली होती है. इसकी विशेष पहचान घने, अंदर की ओर मुड़ते हुए सींग और उभरी हुई आंखें है. ये भैंस हर दिन 8 लीटर तक दूध देती है.

भदावरी भैंस
भदावरी भैंस, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के इलाकों में पाई जाने वाली देसी नस्ल है. इस भैंस का रंग काले-ताम्र जैसा होता है. इसकी गर्दन के नीचे दो पतली सफेद लकीरें होती हैं, जिन्हें कंठी कहा जाता है. यह इस भैंस की सबसे खास निशानी मानी जाती है. इसके सींग बाहर की ओर जाकर नीचे हल्के झुकते हैं और फिर गर्दन के साथ सीध में पीछे की ओर मुड़ते हैं.

घी का बिजनेस करने के लिए यह भैंस काफी फायदेमंद बताई गई है. यह भैंस रोजाना 5 लीटर दूध दे सकती है. कहा जाता है कि इस भैंस के दूध से प्रत्येक 5 दिनों में 5 किलो घी निकलता है.

नागपुरी भैंस
नागपुरी भैंस, भारत की एक प्रमुख स्वदेशी नस्ल है. ये मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पाई जाती है. यह भैंस गर्म और शुष्क जलवायु में भी आसानी से ढल सकती है. इस भैंस का पालन कम देखभाल में आसानी से किया जा सकता है. इसका रंग आमतौर पर काला होता है. इस भैंस का शरीर मजबूत होता है. इसके लंबे, चपटे और पीछे की ओर मुड़े हुए सींग इसकी पहचान हैं.

Advertisement

नागपुरी भैंस से अच्छी गुणवत्ता वाला दूध मिलता है. साथ ही यह खेतों में काम के लिए भी उपयोगी मानी जाती है. अपनी सहनशक्ति, कम खर्च और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल होने के कारण यह नस्ल छोटे और मध्यम पशुपालकों के लिए भरोसेमंद विकल्प बन सकती है. यह भैंस प्रतिदिन 8 से 10 लीटर दूध दे सकती है.

चिल्का भैंस
चिल्का भैंस एक स्वदेशी भैंस की नस्ल है. ये मुख्य रूप से ओडिशा के चिल्का झील क्षेत्र में पाई जाती है. यह नस्ल स्थानीय पर्यावरण के साथ गहराई से जुड़ी होती है. मध्यम आकार, मजबूत शरीर संरचना और सरल प्रबंधन इसकी पहचान है.

चिल्का भैंस दूध, गोबर और कृषि कार्यों में उपयोगी होने के साथ-साथ तटीय क्षेत्रों के पशुपालकों की आजीविका का महत्वपूर्ण आधार होती है. चिल्का भैंस प्रतिदिन 6 से 7 लीटर दूध देती है.

पंढरपुरी
पंढरपुरी भैंस एक देसी नस्ल है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पाई जाती है. यह भैंस मध्यम आकार, काले रंग का शरीर और लंबे, पीछे की ओर मुड़े हुए मजबूत सींगों के लिए जानी जाती है. ये नस्ल स्थानीय परिस्थितियों में आसानी से अनुकूल हो जाती है. पंढरपुरी भैंस का दूध बेहतर गुणवत्ता वाला माना जाता है. यह नस्ल ग्रामीण डेयरी व्यवस्था में अपनी उपयोगिता और टिकाऊपन के कारण जानी जाती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement