Success Story: नहीं मिली नौकरी तो शुरू की खेती, एक साल में 5 लाख की लागत से कमाया 30 लाख का मुनाफा

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले कमलेश मिश्रा को पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने खेती की तरफ रुख किया. 43 लाख रूपये की लागत से पॉलीहाउस तकनीक से सब्जियों की खेती शुरू की. जिसमें 50 प्रतिशत की सब्सिडी सरकार से मिली. उन्होंने बताया कि इस साल केवल 5 लाख की लागत से 30 लाख का मुनाफा हुआ है.

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पॉलीहाउस तकनीक से खेती पॉलीहाउस तकनीक से खेती

राम प्रताप सिंह

  • देवरिया,
  • 14 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

हमारे देश में लोग खेती में ज्यादा पैसा लगाने से कतराते हैं क्योंकि लोग इसे घाटे का सौदा मानते हैं. लेकिन यूपी के एक शख्स ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया. उन्होंने  43 लाख रूपये की लागत से पॉलीहाउस तकनीक से सब्जियों की खेती शुरू की. आज वह इससे बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. इसपर उन्होंने आजतक से बातचीत की.

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यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले कमलेश मिश्रा ने बीकॉम की पढ़ाई की थी. लेकिन कई जगह नौकरी में अप्लाई करने के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली. तो उन्होंने खेती की तरफ रुख किया. गांव में ही उन्होंने पॉलीहाउस तकनीक से खेती करनी शुरू की. लोगों ने उन्हें शुरुआत में इस काम के लिए मना किया कि इसमें मुनाफा नहीं मिलने वाला है. लेकिन वह अपने दृढ़ संकल्प पर अड़े रहे. उन्होंने बताया कि इस साल वह केवल 5 लाख रूपये की लागत से 30 लाख का मुनाफा बनाया है.

पॉलीहाउस से बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन 

कमलेश मिश्रा ने बताया कि उन्हें विभिन्न संचार माध्यमों से सुना था कि पॉलीहाउस के माध्यम से बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए उन्होंने राजस्थान पॉलीहाउस जाकर वहां के किसानों से समझा और रिसर्च की. इसके बाद  उद्यान विभाग के कार्यालय में संपर्क किया. जहां उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी मिली. फिर उन्होंने उद्यान विभाग से सूचीबद्ध कंपनी सफल ग्रीन हाउस के माध्यम से पॉलीहाउस की स्थापना कराई. 

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किसान ने पॉलीहाउस से खेती के फायदे बताए

कमलेश मिश्रा ने बताया कि साल 2022 मार्च में इस पॉलीहाउस स्ट्रक्चर को उन्होंने लगाया था, जिसमें 43 लाख रूपये की लागत आई थी. इसमें 20 लाख रूपये उत्तर प्रदेश सरकार से अनुदान मिला था. इस साल उन्होंने खीरे और रंग बिरंगी शिमला मिर्च उगाई हैं. शिमला मिर्च लगभग 150 रुपये किलो तक बिकती हैं. इसे बेचने के लिए मंडी नहीं जाना पड़ता है. खरीदार खुद खरीदने के लिए उनके पॉलीहाउस पर आते हैं. पॉलीहाउस ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर एवं फॉगर जैसी सुविधा से लैस है. वह खीरे का उत्पादन मल्च तकनीकी से कर रहे हैं, जिसमें जमीन पर अल्ट्रावायलेट प्रोटेक्टेड शीट बिछाई है और निश्चित दूरी पर खीरे की बुआई की है. इस विधि में निराई-गुड़ाई की जरूरत नहीं होती है. 

पॉलीहाउस तकनीक में सरकार से 50 % की सब्सिडी

जिला उद्यान अधिकारी रामसिंह यादव ने बताया कि पॉलीहाउस की स्थापना पर उद्यान विभाग द्वारा पचास प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है. लाभार्थी 500 वर्ग मीटर से 4000 वर्ग मीटर अर्थात एक एकड़ के क्षेत्र में पॉलीहाउस की स्थापना कर सकते हैं.  एक एकड़ के पॉलीहाउस की स्थापना की लागत 40 लाख रूपये आती है. जिसका 50 प्रतिशत हिस्सा सरकार से अनुदान मिलता है. साथ ही पॉलीहाउस की स्थापना के लिए बैंक द्वारा लोन भी दिया जाता है. इसके लिए अगर आपके पास 25 प्रतिशत कैपिटल हो तो बैंक इसमें बढ़कर मदद करता है.

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डीएम ने किसानों से की अपील

जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि पॉलीहाउस में फसलों को नियंत्रित जलवायु परिस्थितियों में उगाया जाता है. इससे किसी भी सब्जी, फूल या फल की खेती पूरे साल की जाती है. चूंकि पॉलीहाउस में कवर्ड स्ट्रक्चर होता है, इसलिए बारिश, ओलावृष्टि इत्यादि का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है.

डीएम ने आगे बताया कि जनपद में सौ पॉलीहाउस स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल जाएगी. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि इसमें बढ़-चढ़ कर आगे आएं और पॉली हाउसेज बनाएं. इसमें अलग-अलग साइज के पॉली हाउसेज बनते हैं, 500 स्क्वायर मीटर से 1000 स्क्वायर मीटर तक बना सकते हैं.

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