Pea Cultivation: देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. कम वक्त में ठीक-ठाक मुनाफा देने की वजह से इस फसल की लोकप्रियता भी किसानों के बीच काफी है. बता दें कि इसके सूखे दानों का उपयोग दाल के तौर पर किया जाता है. वहीं कच्ची फलियां सब्जी बनाने के लिए उपयोग में आती है.
कम लागत में करें इसकी खेती
बता दें कि मटर को दलहनी फसलों की श्रेणी में गिना जाता है. इसकी खेती अगेती और पछेती किस्मों के आधार पर की जाती है. अगेती किस्म के मटर की रोपाई अक्टूबर के महीने में की जाती है. वहीं, पछेती किस्मों के मटर की खेती नवंबर माह के अंत में होती है. इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आती, अगर फसल लगाने से सिंचाई तक की लागत पर बात करें तो 25 से 30 हजार रुपये में एक हेक्टेयर में इसकी खेती की जा सकती है.
किस तरह की मिट्टी में करें इसकी खेती
बता दें कि किसान अगर मटर की खेती प्लानिंग से करें तो इससे बंपर मुनाफा कमा सकता है. इसके अलावा मटर की प्रोसेसिंग करके फ्रोजन मटर का व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है. इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी पर की जा सकती है. हालांकि गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए परफेक्ट मानी जाती है. वहीं, भूमि का P.H. मान 6 से 7.5 मध्य होना जरूरी है.
कैसे होती है रोपाई
मटर की रोपाई बीजों के माध्यम से की जाती है. इसके लिए ड्रिल विधि का इस्तेमाल सबसे उपयुक्त है. पंक्तियों में बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. ध्यान रखें कि इस फसल को समय-समय पर सिंचाई और खाद मिलती रहे, जिससे इसका पौधा लगातार वृद्धि करता रहे है.
कब करें कटाई
मटर के पौधे बीज रोपाई के 130 से 140 दिन कटाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं. पौधों की कटाई के बाद उन्हें सूखाया जाता है. सूखे दानों से फलियों को निकाल लिया जाता है. अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं तो आराम से 20 से 25 क्विंटल तक का उत्पादन किया जा सकता है. बाजार में मटर का भाव चढ़ता उतरता रहता है. ऐसे में किसान एक हेक्टेयर में एक से डेढ़ लाख तक का मुनाफा हासिल कर सकता है.
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