बुंदेलखंड में किसानों ने शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, 1 एकड़ में 10 लाख तक का होगा मुनाफा

Dragon Fruit Farming: उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता है. क्षेत्र में कम बारिश होने के चलते हर साल किसानों को खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों ने इस नुकसान से बचने का विकल्प खोज लिया है. बुंदेलखंड के कई गांवों में ग्रामीणों ने अब ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी शुरू कर दी है.

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Dragon Fruit Cultivation: Dragon Fruit Cultivation:

नाह‍िद अंसारी

  • बुंदेलखंड,
  • 30 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:39 PM IST
  • 15 से 20 तक मुनाफा देता है ड्रैगन फ्रूट का पौधा
  • रोगों के खिलाफ लड़ने में सहायक

Dragon Fruit Cultivation: भारत में परंपरागत फसलों की खेती करने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है. इन फसलों की खेती के दौरान किसान भाई कम मुनाफा होने की शिकायत करते रहते हैं. लेकिन हाल फिलहाल में किसानों ने नए जमाने की फसलों और मुनाफा देने वाली खेती की तरफ रूख करना शुरू किया है. 

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता है. क्षेत्र में कम बारिश होने के चलते हर साल किसानों को खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों ने इन नुकसानों से बचने का विकल्प खोज लिया है. बुंदेलखंड के कई गांवों के ग्रामीणों ने अब ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी शुरू कर दी है. किसान प्रोत्साहित हो इसके लिए शासन ने भी प्रति हेक्टेयर 30 हजार रुपये का अनुदान भी देना शुरू कर दिया है.

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15-20 वर्ष तक मुनाफा

ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किसी भी तरह की भूमि पर किया जा सकता है. एक बार इसका पौधा लगाने के बाद किसान 15 से 20 वर्ष तक लगातार इससे फल हासिल कर सकते हैं. बाजार में इसके फल तीन सौ से चार सौ रुपये प्रति किलो में बिक जाते है. यही वजह है बुंदेलखंड के किसानों ने तेजी से ड्रैगन फ्रूट की खेती की तरफ अपना रूख करना शुरू कर दिया है.

पाटनपुर के ऋषि शुक्ला ने 2019 में 100 पौधों से ड्रैगन फ्रूट की खेती से शुरुआत की थी. शुरूआत में तो उनके काफी पौधे खराब हो गए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. ऋषि शुक्ला बताते हैं उन्होंने दोबारा इसकी खेती करनी शुरू की. इस दौरान उन्होंने पहले की गलतियों को नहीं दोहराई. रासायनिक की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया, तब जाकर पौधों को ग्रोथ मिला. वर्तमान में ऋषि ने 400 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगा रखे हैं.

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रोगों से लड़ने में सहायक

>कैंसर रोधी व इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर
>डेंगू मरीजों के लिए फायदेमंद
>खून बढ़ाने में सहायक

कैसे करें इसकी खेती

कृषि वैज्ञानिक डा. प्रशांत बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती ज्यादातर साउथ अमेरिकन देशों में की जाती है. भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना आदि राज्यों में इसकी खेती होती रही है. इसके फसल को पानी की बेहद कम आवश्कता पड़ती है. यही वजह है कि जहां भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करें, वहां जलनिकासी की पर्याप्त व्यवस्था हो. फसल लगाने से पहले खेत में सीमेंट पोल की जरूरत होती है. जिसमें पोल से पोल की दूरी 6 फीट और कतार से कतार की दूरी 8 से 10 फीट तक होनी चाहिए. पोल के चारों तरफ डेढ़ से दो किलो गोबर का खाद डालकर उसके चारों कोनों में चार पौधे रोपने होते हैं. ड्रैगन फ्रूट के पौधे की रोपाई फरवरी से लेकर अक्टूबर के बीच में कभी भी की जा सकती है.

एक एकड़ में डेढ़ से दो लाख का खर्च

डा प्रशांत आगे बताते हैं  एक एकड़ में करीब 400 सीमेंट के पोल खड़े करने पड़ते हैं. उनके ऊपर एक प्लेट रखनी होती है.  जिनमें करीब 1600 प्लांट लगाए जाते हैं. इन सबमें डेढ़ से दो लाख तक की लागत आ जाती है. एक साल के अंदर पौधे पर फल लगना शुरू हो जाता है. लेकिन किसानों को दूसरे और तीसरे वर्ष से  इसके पौधे से आमदनी होनी शुरू हो जाती है. एक एकड़ में प्रतिवर्ष 6 से 8 टन तक का उत्पादन लिया जा सकता है. जिससे किसान साल भर में करीब 10 लाख तक का मुनाफा कमा सकता है.

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