फरवरी महीने में ही सर्दी पूरी तरह से गायब हो गई है और भीषण गर्मी पड़ने लगी है. तापमान में इजाफा होने लगा है. उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश ने बताया कि लखनऊ का टेंपरेचर पिछले 7 सालों में दूसरी बार सबसे ज्यादा रहा. साल 2021 के फरवरी महीने में लखनऊ में 33.5 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया था. वहीं, इस बार भी तापमान ने 32 डिग्री का आंकड़ा छू लिया है.
वाराणसी में टूटा 50 साल का रिकॉर्ड
मौसम विभाग के वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश ने बताया कि वाराणसी में तो 50 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. शहर का तापमान 36 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया. 50 साल पहले फरवरी माह में काशी का तापमान 35.5 डिग्री था. मौसम विभाग के मुताबिक भीषण गर्मी में बारिश होने के कोई आसार नहीं है. ठंडी हवाएं चलने की भी उम्मीद कम है. ज्यादा से ज्यादा तापमान में 1 डिग्री की गिरावट दर्ज की जाएगी. हवा की रफ्तार साढ़े 6 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से रहेगी जो कि सामान्य है बढ़कर 10 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है. रात के तापमान में गिरावट आएगी. इस दौरान अधिकतम तापमान 22 डिग्री रहेगा.
वैज्ञानिक ने दी चेतावनी
वहीं, कृषि वैज्ञानिक डॉ सुशील द्विवेदी ने बताया कि फरवरी महीने में जो हम गर्मी झेल रहे हैं, वह कोई सामान्य बात नहीं है. इसका गेहूं, मटर, जौ की फसल पर काफी असर पड़ेगा. भीषण गर्मी के चलते गेहूं के दाने छोटे रह जाएंगे. पिछले साल कृषि मंत्रालय ने उम्मीद की थी कि गेहूं की 10.70 करोड़ टन उपज होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रोडक्शन 10.68 करोड़ टन तक ही पहुंच पाया. गेहूं की पैदावार कम होने महंगाई भी बढ़ेगी.
दुश्मन कीड़ों की संख्या में भी होगा इजाफा
बढ़ती गर्मी के कारण फसलों के लिए फायदेमंद तितली, मधुमक्खी जैसी प्रजातियां भी मरने लगी हैं. वहीं, फसल के लिए काफी नुकसानदायक कीड़ों की संख्या बढ़ने लगी है. ये कीड़े फसल को पूरी तरह से चट कर जाते हैं.
मटर की फसल की कटाई शुरू
वैज्ञानिक सुशील द्विवेदी ने आगे बताया कि वह खुद बुंदेलखंड के रहने वाले हैं. मटर के फसल की कटाई मार्च के पहले हफ्ते में होनी थी, लेकिन ये इसी वक्त शुरू हो गई. दरअसल, अधिक तापमान में मटर पूरी तरह से जल जाती है और मिनरल्स भी गायब हो जाते हैं. इन सबको रोकने के लिए वातावरण को ईको फ्रेंडली बनाना होगा. कम प्रदूषण फैलाना होगा. ग्रीन हाउस गैस जैसी चीजों से बचना होगा. पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन का कम इस्तेमाल करना होगा.
प्रति हेक्टेयर 5 से 10 कुंटल कम होगा पैदावार
चंदौली के किसान रतन सिंह कहते हैं कि तापमान बढ़ने से गेहूं के उत्पादन में असर पड़ेगा. प्रति हेक्टेयर पैदावार 5 से 10 क्विंटल कम होने का अनुमान है. जो तापमान मार्च महीने में रहता था वह फरवरी महीने में ही है. गेहूं की फसल के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा. भीषण गर्मी से फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करने के साथ ही दवा के छिड़काव की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद भी हमारी उत्पादकता प्रभावित होगी. इस महीने में इतना अधिक तापमान होने के चलते हम लोग चिंतित हैं. तापमान अधिक होने से गेहूं के दाने इतने पतले हो जाएंगे कि उसको बाजार में बेचने में भी समस्या उत्पन्न होगी.
सरसों की फसल भी होगी प्रभावित
इस साल मौसम के बदलते तेवर को लेकर कृषि वैज्ञानिक भी काफी अचंभित और चिंतित हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा टेंपरेचर होने की वजह से गेहूं के दाने पतले हो जाएंगे. वैज्ञानिकों की मानें तो बड़े हुए टेंपरेचर की वजह से सरसों की उन फसलों को थोड़ा लाभ होगा जो पहले बोई गई थी. वहीं, जिन किसानों ने बाद में सरसों की फसल बोई है उनके लिए यह काफी नुकसानदायक साबित होगा.
सत्यम मिश्रा / उदय गुप्ता