पराली जलाने की समस्या से परेशान पंजाब के लिए राहत की खबर है. पंजाब के संगरूर में एक बायो एनर्जी प्लांट लगाया गया है, जो इस समस्या से निजात दिलाने में मदद करेगा. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ आज 20 एकड़ में 230 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए प्लांट की शुरुआत की. इस दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बायो प्लांट धान की पराली जलाने की समस्या को ख़त्म करने के लिए रास्ता साफ करेगा.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि वरबीयो ग्रुप का राज्य के साथ मज़बूत रिश्ता है क्योंकि इसके साथ काम करने वाली भारतीय कंपनी वरबीयो इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने भारत के सबसे बड़ा बायोफ्यूल का उत्पादन यूनिट लगाया है. यह प्रोजेक्ट बायो-सीएनजी की 33 टीपीडी (Ton Per Day) और 550 टीपीडी (Per Year) और 80,000 क्यूबिक मीटर प्रति दिन की क्षमता रखता है. उन्होंने कहा यह प्रोजेक्ट बायोगैस पैदा करेगा जो पराली जलाने की समस्या को हल करने में मददगार साबित होगा. इस यूनिट में सालाना 1.30 लाख टन पराली की खपत होगी, जिससे पराली की गंभीर समस्या से निजात पाया जा सकेगा.
प्लांट लगने से बढ़ेगा रोजगार
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा इस यूनिट से पराली को आग लगाने के बाद जो 1.50 लाख मीट्रिक टन दूषित तत्व औेर 20,000 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश की सालाना कमी लाने में मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि यह यूनिट 1000 नौजवानों को रोजग़ार भी देगा साथ ही 5000 से अधिक परिवारों को लाभ भी पहुंचेगा. यदि यह प्रोजेक्ट सफल हो जाता है तो वरबीयो ग्रुप की तरफ से राज्य में ऐसे 10 और प्लांट लगाए जाएंगे. पंजाब सरकार का उद्देश्य राज्य को पराली जलाने की समस्या से मुक्त करना है.
उन्होंने कहा कि हर साल लगभग 18 मिलियन टन पराली पैदा होती है लेकिन बायोमास पावर प्लांटों, औद्योगिक ब्वायलरों और प्लाईवुड उद्योग में सिर्फ़ 5 मिलियन टन का प्रयोग किया जा रहा है. इसके निपटारे के लिए कोई और सुरक्षित तकनीक न होने के कारण बाकी 13 मिलियन टन पराली को किसानों द्वारा खेतों में ही जलाया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार की पंजाब को साफ़- सुथरा, हरा-भरा और प्रदूषण रहित बनाने की वचन को दर्शाता है. उन्होंने पवित्र गुरबानी के शब्द ‘पवनु गुरु, पानी पिता, माता धरति महतु’ का हवाला देते हुए कहा कि महान गुरुओं ने हवा को गुरू, जल को पिता और ज़मीन को माता का दर्जा दिया है. अब समय आ गया है जब हमें फसलों के अवशेष को न जलाने का संकल्प लेकर राज्य की पुरातन शान को बहाल करने के लिए गुरबानी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए.
'लगातार बड़े कदम उठा रही सरकार'
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस नेक कार्य के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी. सरकार ने पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसके इलावा कुल 14.25 टन सीबीजी प्रति दिन क्षमता वाले दो अन्य प्रोजेक्ट साल 2022-23 में पूरे हो सकते हैं. यह प्रोजेक्ट प्रति दिन 492.58 टन कम्परेस्सड बायोगैस के प्रोडक्शन के लिए हर साल लगभग 16.5 लाख टन धान की पराली की खपत करेंगे.
यहां कार्यक्रम में भगवंत मान बोले कि पंजाब राज्य में कृषि अवशेष पर अधारित सीबीसी परियोजना की बड़ी संभावना है. उन्होंने कहा कि पंजाब में 10 टीपीडी की क्षमता वाले लगभग 200 और प्रोजेक्ट स्थापित किए जा सकते हैं जिनके लिए राज्य सरकार राज्य NRCE नीति- 2012 के अंतर्गत अलग-अलग रियायतें प्रदान कर रही है. इसी तरह भगवंत मान ने कहा कि पैट्रोलियम और कुदरती गैस मंत्रालय, भारत सरकार ने जून, 2018 में जैविक ईंधन पर राष्ट्रीय नीति को भी नोटिफाई किया है जो बायोफ्यूल के प्रोडक्शन के लिए प्रोजेक्टों को बढ़ावा देने और विकास करने की ज़रूरत पर ज़ोर देती है.
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा, पेडा के चेयरमैन एचएस हंसपाल, हलका लैहरा के विधायक वरिन्दर गोयल, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए वेनू प्रसाद, सीईओ इनवेस्ट पंजाब केके यादव, सीईओ पेडा सुमित जारंगल और अन्य शख़्सियतें भी उपस्थित थी.
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