सूखे से जूझ रहा ब्रिटेन, वाटर लेवल 30 साल के सबसे निचले स्तर पर, होस पाइप बैन, 1.7 करोड़ लोग प्रभावित

गर्मी और सूखे के चलते यूरोप में फसलों पर भी संकट नजर आने लगा है. यूरोपीय कमीशन साइंस सर्विस के मुताबिक, यूरोपीय संघ में मक्का, सूरजमुखी और सोयाबीन के उत्पादन में 8-9% की गिरावट देखने को मिल सकती है जो पांच साल के औसत से काफी कम है. औसत से अधिक तापमान और कम बारिश के चलते अक्टूबर तक ब्रिटेन में खासकर इंग्लैंड में संकट और बढ़ सकता है.

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भीषण गर्मी के चलते पूरे यूरोप में जल संकट (फोटो- EU क्लाइमेट एक्शन )-16:9 भीषण गर्मी के चलते पूरे यूरोप में जल संकट (फोटो- EU क्लाइमेट एक्शन )-16:9

प्रभंजन भदौरिया

  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:25 AM IST

ब्रिटेन समेत यूरोप के तमाम देश भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं. ऐसे में अब ब्रिटेन और बाकी देशों के सामने एक और संकट आ गया है. यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन की करीब 60% जमीन सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रही है. यह क्षेत्रफल भारत देश के क्षेत्रफल जितना है. 

यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के मुताबिक, औसत से अधिक तापमान और कम बारिश के चलते अक्टूबर तक ब्रिटेन में खासकर इंग्लैंड में संकट और बढ़ सकता है. ऐसे में वाटर कंपनियों ने होसपाइप पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि आने वाले समय में प्रतिबंध का दायरा और बढ़ाया जा सकता है. 

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गर्मी और सूखे के चलते यूरोप में फसलों पर भी संकट नजर आने लगा है. यूरोपीय कमीशन साइंस सर्विस के मुताबिक, यूरोपीय संघ में मक्का, सूरजमुखी और सोयाबीन के उत्पादन में 8-9% की गिरावट देखने को मिल सकती है जो पांच साल के औसत से काफी कम है. 

यूरोप में ऐसे बढ़ा संकट

यूरोप के कई हिस्सों में जुलाई में पानी का स्तर काफी नीचे पहुंच गया है. इससे मांग भी पूरी नहीं हो पा रही है. दक्षिणी इंग्लैंड में 1836 के बाद पहली बार जुलाई में इतनी कम बारिश हुई. वहीं, पूरे यूके की बात करें, तो 20 साल बाद जुलाई के महीने में इतनी कम बारिश हुई. यूके में जुलाई में सिर्फ 46.3mm बारिश हुई, जो औसत बारिश का 53% है. 

CREDIT: WALES NEWS SERVICE

फ्रांस में जुलाई में सिर्फ 9.7mm बारिश हुई, जो 1959 के बाद सबसे कम है. वहीं. इटली में दिसंबर 2021 के बाद से बारिश में कमी देखने को मिल रही है. यहां हालत ये हैं कि पो रिवर पूरी तरह से सूख गई है. इससे यहां खेती और ट्रांसपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन में गर्मी ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. यहां जुलाई में पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया. स्पेन में तो गर्मी ने 60 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. 

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ब्रिटेन पर मंडरा रहा सूखे का संकट

इंग्लैंड के कई हिस्सों में शुक्रवार को सूखा घोषित किया जा सकता है. इसे 1976 के बाद सबसे बड़ा सूखा कहा जा रहा है. यहां नेशनल ड्रॉट ग्रुप ने शुक्रवार को अहम बैठक बुलाई है. माना जा रहा है कि बैठक में इंग्लैंड के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों समेत कई हिस्सों में सूखा घोषित किया जा सकता है. ऐसे में वाटर कंपनियों द्वारा होसपाइप पर प्रतिबंध समेत कई कदम उठाए जा सकते हैं. नियमों के मुताबिक, होसपाइप बैन होने पर कोई भी किसी भी वजह से मैन पाइप में होसपाइप (नली) नहीं लगा सकता, चाहें उसे पौधों में पानी देना हो, पूल भरना हो, कार धोना हो या कोई अन्य इस्तेमाल करना हो. 

करीब 1.7 करोड़ लोग अभी तक इससे प्रभावित हैं. माना जा रहा है कि आने वाले समय में 1.5 करोड़ लोग इससे और प्रभावित हो सकते हैं. इतना ही नहीं फसलें प्रभावित होने के चलते यहां महंगाई बढ़ने की भी आशंका है. सूखे के संकट को देखते हुए इंग्लैंड के कई हिस्सों में पीने के पानी को खरीदने को लेकर मारामारी मच गई है. इतना ही नहीं कई स्टोर पर बिकने वाले पानी की कमी भी देखने को मिलने लगी है. 

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गर्मी और बढ़ने के आसार

अनुमान है कि ब्रिटेन के कई हिस्सों को अगले साल तक इस समय से जूझना पड़ सकता है. इतना ही नहीं आने वाले समय में गर्मी और बढ़ने की संभावना है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी ब्रिटेन में बारिश हो, तो बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. 

सूखा घोषित होने के बाद उठाए जा सकते हैं ये कदम

सूखा घोषित होने के बाद नेशनल ड्रॉट ग्रुप वाटर कंपनियों को नदियों से लेने वाले पानी की मात्रा को सीमित कर सकते हैं. इसके अलावा सूखे से निपटने के लिए उपयुक्त योजनाओं को सुनिश्चित कर सकता है. इतना ही नहीं नदी तालाबों से पानी के सूखने पर मछलियों का रेस्क्यू किया जा सकता है. इतना ही नहीं जनता को पानी के संरक्षण की सलाह भी दी जा सकती है. अगर गंभीर सूखा घोषित किया गया तो स्थिति का प्रबंधन सरकार को सौंप दिया जाएगा. 

 

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