मुस्लिम देशों ने किसे दी वॉर्निंग? कहा- इस्लामिक मूल्यों के खिलाफ गए तो...

गल्फ देशों की जीसीसी काउंसिल ने संयुक्त बयान देते हुए ओटीटी कंपनी नेटफ्लिक्स से ऐप पर प्रसारित हो रहे आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने के लिए कहा है. इस काउंसिल में 6 मिडिल ईस्ट देश सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर शामिल हैं. अभी तक नेटफ्लिक्स की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

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फोटो- जुरासिक वर्ल्ड (कार्टून ) फिल्म का एक सीन जिसे सऊदी अरब में ब्लर कर दिया गया फोटो- जुरासिक वर्ल्ड (कार्टून ) फिल्म का एक सीन जिसे सऊदी अरब में ब्लर कर दिया गया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:04 PM IST

गल्फ कोऑपरेशन देशों की काउंसिल ने ओटीटी ब्रांड नेटफ्लिक्स से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने के लिए कहा है. काउंसिल में शामिल सभी देशों के सदस्यों ने जॉइंट स्टेटमेंट में कहा कि नेटफ्लिक्स ऐसे कंटेंट का प्रसारण रोक दे, जो इस्लाम और सामाजिक मूल्यों के विपरीत हो. अगर नेटफ्लिक्स ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ काउंसिल की ओर से लीगल एक्शन लिया जा सकता है.  

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गल्फ देशों की इस काउंसिल में 6 मिडिल ईस्ट देश सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर शामिल हैं. काउंसिल की ओर से बयान में ये भी कहा गया कि नेटफ्लिक्स ऐसे कंटेंट का प्रसारण कर रहा है, जो गल्फ देशों के मीडिया कंटेंट रेगुलेशन के अनुसार उल्लंघन माना जाता है. वहीं जीसीसी काउंसिल ने संयुक्त बयान में कहा कि नेटफ्लिक्स बच्चों के लिए प्रसारित हो रहा कुछ कंटेंट भी हटाए.

सऊदी अरब और यूएई ने काउंसिल के बयान का प्रसारण अपने सरकारी चैनलों पर भी किया है. हालांकि, अभी तक यूएसए बेस्ड ओटीटी कंपनी नेटफ्लिक्स की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. 

वहीं जीसीसी काउंसिल के फैसले के पीछे की एक वजह नेटफ्लिक्स की कमाई भी बताई जा रही है, जिस पर रीजनल चैनलों की भी नजर है. दरअसल, सऊदी अरब में कई चैनल ऐसे हैं जो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी बढ़त बनाना चाहते हैं. 

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इनमें एक शाहिद सर्विस ऑपरेटेड भी है, जिसे सऊदी सरकार से जुड़ा एमबीसी ग्रुप ऑपरेट करता है. इस सर्विस ऑपरेटर में सऊदी सरकार की कंट्रोलिंग हिस्सेदार है, ऐसे में सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोग मनोरजंन के लिए इस सर्विस से जुड़ें. 

गल्फ देशों को समलैंगिकता से जुड़े कंटेंट से परेशानी !
नेटफ्लिक्स को लेकर गल्फ देशों की काउंसिल के बयान के बाद ऐसा माना जा रहा है कि काउंसिल नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हो रहे ऐसे कंटेंट से खासतौर पर परेशान है जिसमें समलैंगिकता दिखाई जा रही हो. 

पहले भी कई मिडिल ईस्ट देश फिल्मों या वेब सीरीज से ऐसे सीन्स को हटाने के लिए कह चुके हैं, जिसमें गे या लेस्बियन किसिंग सीन दिखाया गया हो. बीते जून महीने में सऊदी अरब, यूएई ने डिज्नी मूवीज की फिल्म 'Lightyear' की स्क्रीनिंग पर थियटर्स में रोक लगा दी थी. इसके पीछे फिल्म में दिखने वाले कैरेक्टर्स का समलैंगिक रिश्ता था और यह इन देशों के मीडिया रेगुलेटरी स्टैंडर्ड के खिलाफ जा रहा था.

साल 2019 में नेटफ्लिक्स को एक एपिसोड की स्ट्रीमिंग सिर्फ इसलिए रोकनी पड़ गई थी कि क्योंकि उसमें सऊदी शासन की आलोचना की गई थी.

सऊदी के चैनल पर चला समलैंगिता के खिलाफ वीडियो
मंगलवार को सऊदी अरब स्टेट टेलीविजन चैनल पर एक महिला के इंटरव्यू का प्रसारण किया गया. महिला ने इंटरव्यू में नेटफ्लिक्स को समलैंगिकता का ऑफिशियल स्पॉन्सर बताया. इसी दौरान टीवी पर एक कार्टून वीडियो चलाई गई, जिसमें दो महिलाएं एक दूसरे के गले लग रही थीं. वीडियो को ब्लर करके दिखाया गया. 

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अधिकतर खाड़ी देशों में अपराध है समलैंगिकता
दरअसल,  ईरान समेत अधिकतर खाड़ी देशों में समलैंगिकता को अपराध माना जाता है. बीते सोमवार को ही ईरान ने मानव तस्करी का आरोप लगाते हुए दो LGBTQ एक्टिविस्टों को सजा-ए-मौत सुनाई है. 

गल्फ काउंसिल ने बैन लगाया तो नेटफ्लिक्स को होगा नुकसान
अंग्रेजी वेबसाइट variety.com के मुताबिक, सऊदी अरब में नेटफ्लिक्स के करीब एक लाख 57 हजार सब्सक्राइबर  हैं. वहीं यूएई में यह संख्या सऊदी से भी आगे करीब 2 लाख 42 हजार पहुंच गई है. इसी तरह अन्य देशों में भी नेटफ्लिक्स मनोरजंन का एक अच्छा माध्यम भी बनता जा रहा है. इन देशों में काफी संख्या में भारत और अन्य देशों के लोग भी रहते हैं, जो नेटफ्लिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

अगर नेटफ्लिक्स गल्फ काउंसिल की बात नहीं मानता है और उसकी मांग के मुताबिक आपत्तिजनक कंटेंट पर रोक नहीं लगाता है तो काउंसिल की ओर से की जाने वाली कार्रवाई काफी नुकसान दे सकती है. काउंसिल ने अपने बयान में चेतावनी स्वर में कहा है कि अगर आपत्तिजनक कंटेंट का प्रसारण नहीं रुकेगा तो लीगल एक्शन लिया जा सकता है. 

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