'मकान को हाथ तक नहीं लगाया गया...', सत्यजीत रे का घर ढहाए जाने पर बांग्लादेश से आई सफाई

मैमनसिंह के डिप्टी कमिश्नर मोफिदुल आलम ने पुष्टि की कि स्थानीय प्रशासन ने जांच के बाद यह पुख्ता किया है कि जिस घर को ढहाया गया, उसका सत्यजीत रे के पूर्वजों से कोई संबंध नहीं था.

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सत्यजीत रे के घर को ढहाए जाने पर बांग्लादेश सरकार ने प्रतिक्रिया दी है (Photo: Reuters) सत्यजीत रे के घर को ढहाए जाने पर बांग्लादेश सरकार ने प्रतिक्रिया दी है (Photo: Reuters)

इंद्रजीत कुंडू

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

भारत के मशहूर फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के पैतृक घर को तोड़े जाने को लेकर बांग्लादेश के एक वरिष्ठ अधिकारी का बयान सामने आया है. बांग्लादेश के अधिकारी ने बताया है कि मैमनसिंह में जिस घर को ढहाया गया है, वह सत्यजीत रे के परिवार से जुड़ा हुआ नहीं था. 

मैमनसिंह के डिप्टी कमिश्नर मोफिदुल आलम ने पुष्टि की कि स्थानीय प्रशासन ने जांच के बाद यह पुख्ता किया है कि जिस घर को ढहाया गया, उसका सत्यजीत रे के पूर्वजों से कोई संबंध नहीं था.

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आलम ने कहा कि मैमनसिंह में जिस घर को ढहाया गया, हमने उसकी वास्तविकता का पता लगाने के लिए बुधवार को एक मीटिंग की थी. हमने स्थानीय लोगों से भी बातचीत की और ऐतिहासिक दस्तावेज भी खंगाले. जिस घर को ढहाया गया, उसे मैमनसिंह चिल्ड्रन अकादमी के ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता था.

स्थानीय प्रशासन ने पुष्टि की कि सत्यजीत रे के घर को स्थानीय तौर पर दुरलोव हाउस के तौर पर जाना जाता है, जो सही अवस्था में है. उसे छुआ तक नहीं गया. 

आलम ने कहा कि हमें पता चला है कि सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति सही-सलामत है. हमने उसके मौजूदा मालिक से बात की है, जिन्होंने पुष्टि की है कि उन्होंने इस मकान को सीधे सत्यजीत रे के परिवार से खरीदा था और यह सिद्ध करने के लिए उनके पास सभी दस्तावेज हैं. जिस घर को ढहाया गया है, उसे गलती से सत्यजीत रे का पैतृक आवास समझ लिया गया है.

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बता दें कि सत्यजीत रे के आवास को लेकर यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब कुछ न्यूज रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि सत्यजीत रे के दादा और प्रसिद्ध लेखक उपेंद्र किशोर रे चौधरी द्वारा बनवाए गए सदी पुराने घर को नष्ट कर दिया गया था. 

यह घर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था और लगभग एक दशक से बिना इस्तेमाल के पड़ा था. पहले इसमें मैमनसिंह शिशु अकादमी हुआ करती थी, लेकिन बाद में इसे लावारिश छोड़ दिया गया. 

बता दें कि सत्यजीत रे को विश्व सिनेमा के बड़े फिल्मकारों में से एक माना जाता है. वह फिल्म डायरेक्टर होने के साथ-साथ लेखक, संगीतकार और चित्रकार भी थे. 

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