पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे का मकसद क्या? जानें एक्सपर्ट्स की राय

पीएम मोदी यूक्रेन दौरे पर हैं. उनका यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब यूक्रेन ने रूसी कुर्स्क क्षेत्र के भीतर घुसपैठ कर ली है. यूक्रेन दौरे से ठीक छह हफ्ते पहले पीएम मोदी रूस दौरे में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे.

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यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पीएम मोदी (Photo- AFP) यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पीएम मोदी (Photo- AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एक दिवसीय यूक्रेन दौरे पर राजधानी कीव पहुंच गए हैं जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया. 1992 में राजनयिक रिश्तों की स्थापना के बाद ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला यूक्रेन दौरा है. पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में उनकी मुलाकात के छह हफ्ते बाद हो रहा है जिसकी यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने खूब आलोचना की थी.

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पीएम मोदी 8 जुलाई को जिस दिन रूस दौरे पर मॉस्को पहुंचे, उसी दिन रूस ने यूक्रेन में बच्चों के एक अस्पताल पर हमला किया था. हमले में कई बच्चों समेत 41 लोग मारे गए. इसके बाद जब पीएम मोदी की पुतिन से गले मिलते तस्वीरें सामने आईं तब यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. 

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का मॉस्को के खूनी अपराधी को गले लगाते देखना निराशाजनक है. 

पश्चिम को खुश करने के लिए यूक्रेन गए पीएम मोदी?

जेलेंस्की और पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया और पुतिन से मिलने के छह हफ्ते बाद पीएम मोदी के यूक्रेन जाने को लेकर कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह दौरा उन्हें खुश करने के लिए किया जा रहा है. हालांकि, भारत हमेशा से गुटनिरपेक्षता की नीति पर चलता आया है. 

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विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे से भारत ये दिखाना चाहता है कि जहां एक तरफ भारत रूस के साथ करीबी संबंध बनाए रखेगा, वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी देशों के साथ भी मिलकर चलेगा.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे पर दुनियाभर की नजरें हैं. मोदी का यूक्रेन दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत ने युद्ध के लिए कभी भी खुले तौर पर रूस की आलोचना नहीं की और न ही रूस पर प्रतिबंध लगाने में पश्चिमी देशों का साथ दिया.

इसके बजाए भारत ने युद्ध की शुरुआत के बाद से रूस से अपना व्यापार अप्रत्याशित तरीके से बढ़ा दिया है. भारत रूस से भारी मात्रा में रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीद रहा है. युद्ध से पहले जहां भारत रूस से 2% से भी कम तेल खरीदता था. वहीं, युद्ध के बाद अब रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है.

क्या रूस-यूक्रेन को बातचीत के लिए तैयार करा पाएंगे पीएम मोदी?

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ नीति और दोनों ही देशों के साथ अच्छे संबंधों को देखते हुए कई बार यह कहा गया कि भारत दोनों पक्षों को बातचीत की टेबल पर लाने का काम कर सकता है. हालांकि, युद्ध में अभी जो हालात हैं, उसे देखते हुए यह कह पाना बेहद मुश्किल है कि दोनों पक्ष बातचीत के लिए राजी होंगे. यूक्रेन के सैनिकों ने रूस के कुर्स्क इलाके में घुसपैठ कर ली है.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने बुधवार को कहा है कि कुर्स्क में यूक्रेन की घुसपैठ का मतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच तब तक कोई बातचीत नहीं होगी जब तक यूक्रेन युद्ध के मैदान में पूरी तरह से हार नहीं जाता.

इधर, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूक्रेन दौरे में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत में दोहराया है कि युद्ध से समस्या का समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, 'बातचीत और कूटनीति से समस्या हल होती है. दोनों पक्ष आपसी में बातचीत शुरू करें, बिना समय गंवाए.'

इसके साथ ही पीएम मोदी ने संघर्ष के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका निभाने को लेकर संकेत भी दिए हैं. उन्होंने कहा, 'शांति के प्रयास में भारत सक्रिय भूमिका निभाएगा.'

हालांकि, द विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगेलमन का कहना है कि जब तक रूस और यूक्रेन खुद नहीं चाहेंगे, पीएम मोदी भारत की तरफ से मध्यस्थता की पेशकश नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा, 'भारत को यह पसंद नहीं है कि दूसरे देश उसके मुद्दों पर मध्यस्थता करें, उनमें कश्मीर प्रमुख है. और मुझे नहीं लगता कि मोदी औपचारिक रूप से मध्यस्थता की पेशकश करेंगे जब तक कि रूस और यूक्रेन दोनों ऐसा न चाहें. और इस वक्त तो मुझे नहीं लगता कि दोनों ही देश ऐसी कोई पेशकश करेंगे.'

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वहीं, जाने-माने रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्म चेलानी पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे से आशान्वित नहीं हैं और उन्होंने दौरे की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए हैं.

उन्होंने लिखा, 'मोदी की 23 अगस्त की कीव यात्रा सिर्फ गलत समय पर नहीं है; इसका उद्देश्य भी स्पष्ट नहीं है. यूक्रेन की (रूस में) घुसपैठ से युद्धविराम प्रयासों को गंभीर झटका लगा है. सिर्फ इसलिए कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने यूक्रेन की आजादी के बाद से यूक्रेन का दौरा नहीं किया है, युद्ध में बढ़ते तनाव के बीच मोदी के कीव जाने का कोई अच्छा कारण नहीं है.'

क्या है पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे का मकसद?

पूर्व राजदूत राजीव भाटिया का कहना है कि पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और विनाशकारी युद्ध क्षेत्र में शांति की वकालत करना है.

एक इंटरव्यू में भाटिया ने कहा, 'व्यापार, वाणिज्य, शिक्षा और रक्षा सहयोग में यूक्रेन के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं. 30 सालों पहले जब सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन एक नया देश बना और हमने उससे कूटनीतिक संबंध स्थापित किया, तब से ही यूक्रेन के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं. इस यात्रा से संबंध और बढ़ेंगे. भारत यूक्रेन को और अधिक मानवीय मदद मुहैया कराएगा और यूक्रेन भी युद्ध के बाद निर्माण कार्य के लिए भारतीय कंपनियों को तवज्जो देगा.'

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यूक्रेनी राजनयिक क्या बोले

पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे पर यूक्रेनी राष्ट्रपति के एक सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक ने टिप्पणी की है. रॉयटर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी का यूक्रेन दौरा महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस के साथ भारत के करीबी संबंध हैं और भारत रूस पर खास तरह का प्रभाव भी रखता है.

उन्होंने कहा, 'हमारे लिए ऐसे देशों के साथ मजबूत संबंध बनाना, उन्हें यह समझाना बेहद जरूरी है कि युद्ध का सही अंत क्या है और यह उनके हित में भी है.'

कीव स्थित राजनीतिक विश्लेषक वोलोदिमीर फेसेंको का कहना है कि उन्हें पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे से ज्यादा उम्मीद नहीं है लेकिन यह दौरा भारत के लिए जरूरी है ताकि वो यह दिखा सके कि वो पूरी तरह से रूस की तरफ नहीं है.

वहीं, माइकल कुगेलमन का कहना है कि पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा कई मायनों में अहम है.

उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, 'मोदी का यूक्रेन दौरान महत्वपूर्ण क्यों है- आक्रमण के बाद से बहुत कम नेता रूस और यूक्रेन गए हैं. बहुत कम देशों के रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. आक्रमण के बाद रूस के साथ इतने करीबी संबंध रखने वाले शीर्ष नेताओं में से बहुत कम यूक्रेन गए हैं. '

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