आतंक को लेकर पाकिस्तान का रवैया जगजाहिर है, जिसके चलते वह दुनिया की नजरों में चढ़ा रहता है. यही वजह है कि लंबे समय से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में बना पाक एक बार फिर इसी सूची में बरकरार रह सकता है.
पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठनों के सरगना व कमांडरों के खिलाफ मुकदमा चलाकर वैश्विक टेरर-फंडिंग वॉचडॉग- FATF के 27-प्वाइंट एक्शन प्लान को तेजी से पूरा करना था. लेकिन वह इसके एक जरूरी पैरामीटर के अनुपालन में विफल रहा है.
दरअसल, मंगलवार से शुरू हुई FATF की मीटिंग में आतंकवादी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान की प्रगति का आकलन किया जा रहा है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान को अगले साल अप्रैल तक ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा. एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर गुरुवार को इसकी घोषणा करेंगे.
जून में FATF द्वारा पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में रखने की घोषणा के बाद, देश के ऊर्जा मंत्री हम्माद अजहर ने कहा था कि पाकिस्तान ने 27-प्वाइंट एक्शन प्लान में से 26 को लागू कर दिया है, जबकि अंतिम को जल्द ही लागू किया जाएगा. उन्होंने दावा किया था अब वे ब्लैकलिस्ट नहीं होंगे.
अब भी FATF की ग्रे लिस्ट में क्यों है पाकिस्तान?
पाकिस्तान के FATF की ग्रे लिस्ट में बने रहने का मुख्य कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी के खिलाफ अभियोजन और कार्रवाई की कमी है. गौरतलब है कि पाक को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए - मसूद अजहर, हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी, हाजी मोहम्मद अशरफ और आरिफ कस्मानी समेत कई कुख्यात आतंकियों पर कार्रवाई करनी थी.
फिर 6 महीने लंबा इंतजार
बता दें कि अब FATF की अगली मीटिंग साल 2022 अप्रैल में होने वाली है. इसका सीधा मतलब है कि अब पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए एक बार फिर 6 महीने और इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी है कि 27-प्वाइंट एक्शन प्लान में 26 के अनुपालन के कारण उसे ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का डर कम ही है.
गीता मोहन