पाकिस्तान के खुफिया एजेंट सईद अहमद मुहम्मद देसाई की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. पाकिस्तान के कराची का रहने वाला यह शख्स अपनी बीवी और बच्चों के साथ महाराष्ट्र के पुणे शहर में सालों तक आम लोगों के बीच रहा और किसी को उसके पाकिस्तानी एजेंट होने की भनक तक भी नहीं लग पाई. वह लगातार भारत की खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेज रहा था. कभी पकड़ा न जाए, इसके लिए उसने फर्जी कागजातों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट से लेकर राशन कार्ड तक, हर तरह का वैध भारतीय डॉक्यूमेंट भी बना लिया.
हालांकि, पाकिस्तानी एजेंट की चालाकी काम नहीं आई और आखिरकार वह पकड़ में आ ही गया. उसे जेल भेज दिया गया, जिसके बाद वह करीब 8 साल जेल में रहा. इसी बीच वह एक बार पुलिस हिरासत से भी फरार हो गया. कुछ ही समय में वह पकड़ में भी आ गया, जिसके बाद उसे पाकिस्तान भेज दिया गया.
पुणे में किसी आम भारतीय की तरह जिंदगी गुजार रहा था सईद अहमद मुहम्मद
पाकिस्तान से घूमने के वीजा पर पुणे आया सईद धीरे-धीरे यहीं बस गया. उसने अपने एक जानकार की मदद से एक घर भी किराये पर ले लिया.
पुलिस रिकॉर्ड्स के अनुसार, सईद अक्सर कारोबार के सिलसिले में भारत आता-जाता रहता था. साल 1984 में उसने कोल्हापुर की रहने वाली बीबी जोहरा से शादी कर ली. शादी के बाद दोनों पाकिस्तान में ही रहने लगे. साल 1996 के अगस्त महीने में सईद अपनी पत्नी के साथ 45 दिनों के वीजा पर भारत आया था.
8 अक्टूबर, 1996 में दोनों ने पुणे शहर में विदेश विभाग के दफ्तर में अपनी जानकारी दी, जिसके बाद उन्हें तीन दिनों का यानी 11 अक्टूबर तक का वीजा दे दिया गया. हालांकि, अवधि पूरी होने के बाद दोनों वापस नहीं लौटे. जिसके बाद दोनों काफी समय तक अपनी लोकेशन लगातार बदलते रहे. इस दौरान वे कुछ दिनों तक जोहरा बीबी के रिश्तेदारों के यहां कोल्हापुर भी रहे.
पुणे में एक जानकार जियाउद्दीन शेख की मदद से दोनों को पुणे में रहने के लिए किराये का घर मिल गया. शहर के आरटीओ दफ्तर से ड्राइविंग लाइेंस और राशन कार्ड भी बन गया. इतना ही नहीं, सईद ने यूपी के आगरा के एक स्कूल के फर्जी लिविंग सर्टिफिकेट के आधार पर अपने बेटे का पुणे के एक मशहूर अंग्रेजी मीडियम स्कूल में दाखिला भी करा दिया. वहीं कोल्हापुर के नगर पालिका ऑफिस से अपनी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र भी किसी तरह बनवा लिया.
भारत में सईद ने इस नाम से बना ली थी अपनी अलग पहचान
भारत में सईद ने 'साहिबजादा बड़े शाहजिब शेख' के नाम से अपनी पहचान बना ली थी. इसी नाम के भारतीय पासपोर्ट के जरिए वह साल 1997 में अटारी बॉर्डर के जरिए और साल 1998 में मुंबई एयरपोर्ट से पाकिस्तान यात्रा भी कर चुका था.
सईद का प्लान ठीक जा रहा था कि अचानक 14 जून, 1999 में सब कुछ बदल गया. दरअसल, पुणे पुलिस के इंस्पेक्टर सुरेंद्र बापू पाटिल को एक टिप मिली कि पुणे में बैठा एक शख्स भारत की खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेज रहा है. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और कुछ ही दिनों में 38 वर्षीय सईद को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद जब जांच-पड़ताल शुरू की तो पता चला कि वह कराची का रहने वाला है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट है. पुलिस ने उसके पास से भारतीय आर्मी से जुड़े कई सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स भी बरामद किए. वह जिन पाकिस्तानी अधिकारियों से संपर्क में था, उनकी पहचान युसूफ और खुर्रम के रूप में की गई.
पुलिस ने सईद के खिलाफ सहकरनगर थाने में केस दर्ज किया था. कोर्ट रिकॉर्ड्स के अनुसार, सईद की गिरफ्तारी से पहले ठीक दो दिन पहले मुंबई सीआईडी ने डोंगरी इलाके से अब्दुल समद और वली मोहम्मद को गिरफ्तार किया था. दोनों ने अपने फरार साथी तलहा की भी जानकारी दी. यह तीनों लोग खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेजते थे. इन लोगों की जांच के दौरान ही सईद का लिंक मिल गया.
इस मामले में एक बार फिर 4 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इन चारों की पहचान मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद फैज आमिनी, इम्तियाज रजाक दलाल और अफजल दाऊद दरवेश के रूप में की गई. पुणे और मुंबई में मामले दर्ज होने के बाद लगातार गिरफ्तारियों को देखते हुए यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया.
सीबीआई ने खोला सईद अहमद मुहम्मद देसाई का काला चिट्ठा
सीबीआई को जांच में पता चला कि सईद की इन लोगों से मुंबई में कई बार मुलाकात हुई थी. सईद कराची में बैठे एक शख्स सलीम को भी जानकारी भेजता था. सईद की पाकिस्तान के कई लोगों से फोन पर भी बात होती थी. फोन के लिए सईद पब्लिक फोन बूथ का इस्तेमाल करता था.
इस मामले में कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिनमें बाद में 4 लोगों को सबूतों के आभाव में छोड़ दिया गया. सीबीआई ने 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. इनमें सईद का नाम भी शामिल था.
अक्टूबर, साल 2007 में पुणे कोर्ट ने देसाई को 7 साल की सजा सुनाई. उस समय तक वह आठ साल सलाखों के पीछे काट चुका था. इस वजह से उसे जेल से छोड़ दिया गया. कोर्ट ने उसे पाकिस्तान वापस भेजने का आदेश दिया. पाकिस्तान भेजने की प्रक्रिया पूरी होने तक सईद को पुलिस थाने में रखा गया. यहीं से वह एक दिन अचानक फरार हो गया.
हालांकि, करीब 20 दिन बाद उसे कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके बाद वह कुछ सालों तक हिरासत में रहा. साल 2011 में लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार सईद को पाकिस्तान वापस भेज दिया गया.
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