FATF के फैसले से पहले PAK की नई चाल! आतंकवाद पनपने की बताई ये वजह

पाकिस्तान 2018 से FATF की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है. इस कारण से पाकिस्तान को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से फंड नहीं मिल रहा है. ऐसे में खस्ता वित्तीय संकट के कारण उसकी स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है. हालांकि वह FATF से निकलने के लिए लगातार पैंतरेबाजी करता रहता है.

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पाक पीएम शहबाज शरीफ (AFP) पाक पीएम शहबाज शरीफ (AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:38 PM IST

पाकिस्तान FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट से बाहर आएगा या नहीं, इस पर शुक्रवार को फैसला हो सकता है. मनी लॉन्ड्रिंग और टेरेर फाइनेंसिंग पर नजर रखने वाली संस्था FATF की दो दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है. पाकिस्तान के अलावा तुर्की, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे देशों के भविष्य का फैसला भी इस बैठक में होना है. इनमें से कई देश ग्रे लिस्ट में शामिल हैं. 

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पाकिस्तान लगातार कोशिश कर रहा है कि उसे ग्रे लिस्ट से बाहर किया जाए. इसके लिए वह लगातार कोई न कोई चाल चलता रहता है. अब पाकिस्तान की एक संस्था ने रिपोर्ट जारी की है उसमें बताया गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद पाकिस्तान में आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक स्थानीय थिंक-टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में एक साल में आतंकवादी हमलों में रिकॉर्ड 51 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

जब अफगानिस्तान पर तालिबान का हुआ कब्जा

गौरतलब है कि विश्व की महाशक्तियां रूस और अमेरिका दो दशकों तक अफगानिस्तान को अपने वश में करने की कोशिश करते रहे लेकिन विफल रहे. जब अमेरिका अफगानिस्तान छोड़ने के लिए तैयार हुआ तो बिना किसी प्रतिरोध के तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया.

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रिपोर्ट में तालिबान शासन को बताया खतरा

पाक इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज (पीआईपीएस) ने 'अफगान स्थिति का नतीजा और पाकिस्तान की नीति प्रतिक्रिया' शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की है. इसमें कहा गया है," यह स्पष्ट हो गया है कि काबुल में आतंकवादी शासन पाकिस्तान के लिए खतरा है क्योंकि देश में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से एक साल में आतंकवादी हमलों की संख्या में 51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है." 

पीआईपीएस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 15 अगस्त 2021 से 14 अगस्त 2022 के बीच 250 आतंकवादी हमलों में 433 लोग मारे गए और 719 घायल हुए.

इसमें कहा गया है कि हाल के महीनों में अफगानिस्तान से टीटीपी आतंकवादियों की कथित वापसी को लेकर खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के निवासियों में भय और दहशत है. इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि पेशावर, स्वात, दीर और टैंक जैसे केपी के मध्य में उग्रवादियों के आंदोलनों की भी सूचना मिली है. यह आबादी वाले जिलों में आतंकवादियों के लगातार विस्तार की ओर इशारा करते हैं.

लाइसेंसी हथियार रखने की सलाह

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में, लोअर दीर ​​में पुलिस ने स्थानीय जाने-माने लोगों को उभरती स्थिति को देखते हुए उनकी सुरक्षा और सुरक्षा के उपाय करने की सलाह दी है. साथ ही अनावश्यक गतिविधियों को कम करने और लाइसेंसी हथियार रखने की भा सलाह दी है. इसी तरह, 10 अगस्त को स्वात पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा कि वे बालासूर और कबाल के पहाड़ों के साथ-साथ ख्वाजखेला तहसील में भी आतंकवादियों के लिए तलाशी अभियान चला रहे हैं. कहा गया है कि इन विश्लेषणात्मक पत्रों का उद्देश्य अफगान शांति और सुलह में इसकी भूमिका का विस्तार करना है.

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पाकिस्तान के लिए कठिन परीक्षा

रिपोर्ट के मुताबिक थिंक-टैंक ने कहा, "तालिबान की जीत पर खुशी अब एक झटके में बदल रही है क्योंकि अनिश्चित तालिबान शासन के तहत विकसित सुरक्षा इशारा करती है कि पाकिस्तान एक और कठिन परीक्षा का सामना करने वाला है," इसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में स्थित विदेशी आतंकवादी समूह तालिबान की जीत को मध्य और दक्षिण एशिया और विश्व स्तर पर अपने प्रचार प्रसार के लिए एक प्रेरणा के रूप में लेते हैं.

अफगानिस्तान में सक्रिय उपस्थिति वाले प्रमुख आतंकी संगठनों में अल-कायदा, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान (IMU), ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और इस्लामिक स्टेट इन खुरासान (IS-K) शामिल हैं. अबतक, तालिबान ने केवल आईएस-के के खिलाफ कार्रवाई की है क्योंकि यह सक्रिय रूप से समूह के शासन को चुनौती देता है.

इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के हवाले से कहा गया है कि तालिबान के अधिग्रहण के बाद से 300,000 से अधिक अफगान पाकिस्तान भाग गए हैं. यह आंकड़ा पाकिस्तानी अधिकारियों के इस दावे का खंडन करता है कि पिछले साल अगस्त से लगभग 60,000 से 70,000 अफगानों ने पाकिस्तान में प्रवेश किया. 

क्या है FATF और पाकिस्तान पर क्यों लगा बैन?

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FATF (Financial Action Task Force) एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय संस्था है. यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराध को रोकने की कोशिश करता है, जो कि आतंकवाद को बढ़ाने के लिए किए जाते हैं. पाकिस्तान पर आरोप लगे थे कि वहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने का काम हो रहा है. इस आरोप के बाद पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था. उसे अक्टूबर 2019 तक कार्य योजना पर अमल करने का समय दिया गया था लेकिन वह FATF के आदेशों का पालन नहीं कर पाया था, जिसके बाद से अब इस सूची में बना हुआ है.

FATF में शामिल होने पर वित्तीय सहायता बंद हो जाती है

FATF जिस देश को ग्रे लिस्ट में डालता है, उसकी निगरानी बढ़ जाती है. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने से उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो गया है. हालांकि FATF की ग्रे लिस्ट में ब्लैक लिस्ट जैसी पाबंदियां नहीं लगती हैं लेकिन इससे बाकी देश सतर्क हो जाते हैं. साथ ही वैश्विक वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली भी फंड देने का रिस्क नहीं लेते हैं.

 

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