किम जोंग की उत्तराधिकारी बनेगी बेटी? चीन दौरे के बाद अटकलें तेज

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन अपनी बेटी किम जू ए को अपना उत्तराधिकारी बनाने की तैयारी कर रहे हैं. दक्षिण कोरिया की जासूसी एजेंसी ने पुष्टि की है कि किम जू ए को उत्तर कोरिया की अगली नेता के रूप में मान्यता मिल चुकी है.

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किम जोंग उन और उनकी बेटी जू ए. (Photo: Reuters) किम जोंग उन और उनकी बेटी जू ए. (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन अपनी बेटी किम जू ए को अगला नेता बनाने की योजना बना रहे हैं. दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की है. इस कदम को देश के पितृसत्तात्मक समाज में लैंगिक मानदंडों को चुनौती देने वाला माना जा रहा है. हाल ही में जू ए को अपने पिता के साथ एक विशेष ट्रेन से चीन के दौरे पर देखा गया था, जिसके बाद से उनके उत्तराधिकारी होने की अटकलें तेज हो गई हैं.

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दक्षिण कोरिया की जासूसी एजेंसी नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस (NIS) ने पुष्टि की है कि किम जू ए को उनके पिता का उत्तराधिकारी माना जा रहा है. एनआईएस ने ये निष्कर्ष राज्य मीडिया की तस्वीरों और एक विशेष डॉक्यूमेंट्री के आधार पर निकाला है, जिसमें किम जू ए को चीन में किम जोंग उन के साथ दिखाया गया था. एजेंसी ने कहा कि किम जू ए ने एक संभावित उत्तराधिकारी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आवश्यक 'क्रांतिकारी कथा' को सुरक्षित कर लिया है.

चीन दौरे के बाद अटकलें तेज

किम जू ए इस महीने की शुरुआत में अपने पिता और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ 'द सन ट्रेन' से चीन की यात्रा पर गईं. उस यात्रा पर किम ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. उन्होंने इस अवसर का इस्तेमाल संभवतः अपने उत्तराधिकारी का नए सिरे से परिचय कराने के लिए किया होगा.

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दरअसल, उत्तर कोरिया में परंपरागत रूप से कन्फ्यूशियस सिद्धांतों के आधार पर पितृसत्तात्मक परिवारिक व्यवस्था है, जहां घर के सबसे बड़े पुरुष को परिवार का मुखिया माना जाता है. इस व्यवस्था में व्यक्तिगत इच्छाओं को परिवार के समूह के हितों के आगे रखा जाता है. हालांकि, किम जोंग उन का बेटी को अपना उत्तराधिकारी बनाने का कदम इस सामाजिक व्यवस्था को चुनौती देगा. ये कदम दक्षिण कोरिया के 4B आंदोलन के विपरीत है, जिसमें महिलाओं ने पितृसत्ता से लड़ने के लिए पुरुष संबंधों को अस्वीकार कर दिया था.

भारत में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना ने लिंग-भेदभाव को दूर करने और लड़कियों को सशक्त बनाने में मदद की है. इसी तरह किम जोंग उन का अपनी बेटी को उत्तराधिकारी बनाने का कदम, जिसे हम 'बेटी बढ़ाओ' कह रहे हैं, पितृसत्तात्मक कोरियाई समाज में एक सकारात्मक परिणाम ला सकता है.

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