गैर-मुस्लिम देशों को मलेशिया के मंत्री ने दी ये नसीहत

मलेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री दातुक इदरिस अहमद ने कहा कि मलेशिया में हर वर्ग और नस्ल के लोग मिल जुलकर शांति से रहते है. उन्होंने कहा कि बाकी देशों को भी मलेशिया से सीख लेने की जरूरत है.

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मलेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री दातुक इदरिस अहमद मलेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री दातुक इदरिस अहमद

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST
  • मलेशिया में सहिष्णुता और सद्भावना के गुण
  • इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करने की अपील

मलेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री दातुक इदरिस अहमद ने कहा कि मलेशिया सहिष्णुता की मिसाल है और जिन देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं, उन्हें भी इससे सीखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, मलेशिया आधिकारिक रूप से इस्लामिक देश है लेकिन फिर भी यहां मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी बाकी समुदाय के लोगों के साथ मिलजुल कर रहती है.

इदरिस ने नौ मार्च को खत्म हुए दो दिवसीय वर्ल्ड मुस्लिम कम्युनिटीज काउंसिल की इंटरनेशल कॉन्फ्रेंस में कहा कि मलेशिया में सहिष्णुता और सद्भावना की संस्कृति दुनियाभर के मुस्लिमों को एक साथ लाने के लिए मार्गदर्शक बन सकती है.

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इदरिस का कहना है कि जिन देशों में मुस्लिमों की आबादी अधिक है, वहां अन्य धर्म के लोगों को आसानी से स्वीकार कर लिया जाता है लेकिन जहां मुस्लिमों की आबादी कम है, वहां मुस्लिमों को स्वीकार नहीं किया जाता.

उन्होंने कहा, हमने मलेशिया में जिस नींव को तैयार किया है, उम्मीद है कि बाकी देश भी सौहार्दता बनाए रखने के लिए उस पर अमल करेंगे, फिर चाहे इनमें वे देश भी क्यों ना हो जहां गैर मुस्लिमों की तादाद अधिक है.

उन्होंने कहा कि मलेशिया ने समाज के सभी वर्गों के साथ भाईचारा बनाने के प्रयास किए हैं.

उन्होंने कॉन्फ्रेंस के बारे में कहा कि यह इस कॉन्फ्रेंस की सफलता है कि वह मुस्लिमों के सामने आ रही चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए दुनियाभर की इस्लामिक हस्तियों को एक साथ लेकर आया. इस कॉन्फ्रेंस में 105 देशों के 500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. 

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उन्होंने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात ने इच्छा जताई है कि मलेशिया इस कॉन्फ्रेंस का अगला मेजबान बने.

कॉन्फ्रेंस में पांच प्रस्तावों पर सहमति बनी, जिनमें मुस्लिमों की सामूहिक चेतना को जगाने के लिए पारंपरिक और न्यू मीडिया के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है ताकि उन्हें 21वीं सदी में मुस्लिमों के सामने आ रहीं चुनौतियों से जुड़े विषयों के बारे में समझाया जा सके.

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