एक ओर जहां IDF हमास को खत्म करने के लिए गाजा के उत्तरी हिस्से में अपनी जमीनी सेना को आगे बढ़ा रहा है तो वहीं राजधानी येरुशलम सहित देश के अन्य हिस्सों में तनाव बना हुआ है. इजरायल में हमास द्वारा किए गए आतंकवादी हमले ने सुरक्षा खुफिया, वायु रक्षा प्रणाली की नाजुकता और ज़ायोनी राज्य इजरायल की ताकत के बारे में धारणा को भी उजागर किया. हमास ने इस हमले को ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड बैटल नाम दिया है और जिसके खिलाफ इजरायल ने ऑपरेशन स्वॉर्ड ऑफ आयरन लॉन्च किया है.
इजरायल ने बढ़ा दिए जमीनी लड़ाके
यह स्थिति अभूतपूर्व है और शायद इजरायल और अरब संघर्ष के इतिहास में कभी नहीं देखी गई. यह क्षण संभावित रूप से मध्य पूर्व में परिदृश्य को बदल सकता है. जबकि गाजा की गोरिल्ला सेनाएं इजरायल पर लगातार रॉकेट से हमला कर रही हैं, वहीं इजरायल द्वारा जमीनी बलों और हवाई हमलों को बढ़ा दिया गया है.
अलास्का मस्जिद के दमिश्क गेट के पास पुलिस स्टेशन में गोलीबारी
जेरूसलम यहूदियों, रूढ़िवादी यहूदियों और अरब के लोगों सहित विभिन्न आस्थाओं और धर्मों की मिश्रित आबादी वाला शहर है. गुरुवार रात को फिलिस्तीन और समर्थकों तथा इज़रायली बलों के बीच बड़े पैमाने पर तनाव बढ़ गया. प्रदर्शनकारियों ने अलास्का मस्जिद के दमिश्क गेट के पास एक पुलिस स्टेशन में गोलीबारी की, जिसमें पुलिसकर्मी घायल हो गए और जवाबी कार्रवाई में 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.
सुनसान हैं यरुशलम की सड़कें
फिलिस्तीन के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन, (हमास) के द्वारा पिछले शनिवार को इजरायल के दक्षिणी हिस्से में किए गए ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड के बाद शुक्रवार को यह पहला प्रार्थना दिवस था. राजधानी येरुशलम में हवाई हमले नहीं हुए हैं, लेकिन संघर्ष की स्थिति को उस बिंदु से देखें जहां यह सब दशकों पहले शुरू हुआ था, स्थिति ज्वालामुखी की तरह स्थिर है. यरुशलम में अरबों के प्रभुत्व वाले इलाकों में शुक्रवार सुबह से ही सड़कें सुनसान नजर आ रही हैं. अरब बहुल इलाकों में दुकानें बंद हैं, बाजार बंद हैं और सड़कों पर बहुत कम लोग हैं.
स्थानीय निवासी कादुस का कहना है कि तनाव की स्थिति के कारण अल अक्सा मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है.
युवाओं को अल अक्सा में दमिश्क गेट में प्रवेश की अनुमति नहीं
यह क्षेत्र फ़िलिस्तीन के प्रति सहानुभूति और समर्थन रखने के लिए जाना जाता है. कुतुब कहते हैं, "हमारे भाइयों के लिए गाजा में खाना नहीं है, रसद आदि की आपूर्ति नहीं है, सड़कें बंद हैं, हमारे पास जाने और मदद करने के लिए भी कुछ नही हैं. अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षा तैनाती की गई है क्योंकि येरुशलम और अल अक्सा मस्जिद इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष का बिंदु बने हुए हैं. सैनिकों ने यूथ को अल अक्सा की ओर दमिश्क गेट में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई. उनकी तलाशी ली गई.
हम शांति चाहते हैंः फिलिस्तीनी महिला
दोपहर तक मुस्लिम समुदाय के लोगों को मस्जिद में जाने की इजाजत थी, लेकिन बहुत कम संख्या में. इससे प्रतिरोध और विरोध शुरू हो गया जो आक्रामक भी हो गया.
फ़िलिस्तीनी महिला आसिफ़ा का कहना है कि हम शांति चाहते हैं और गाजा में हमारे लोग मारे जा रहे हैं, बच्चे मारे जा रहे हैं लेकिन हम उनकी मदद नहीं कर सकते, और अब वे हमें नकाब में भी नहीं आने देते.
शहर में शुक्रवार को पसरी रही शांति
यरुशलम के पड़ोस में फ़िलिस्तीनी समर्थकों और इज़रायली सैनिकों के बीच झड़प की कुछ बहुत छोटी घटनाओं को छोड़कर, शहर में शुक्रवार को ज़्यादातर शांति रही.
दिन ख़त्म हो गया और अब शब्बत का समय हो गया है. यहूदियों का मानना है कि यह यहूदी धर्म में विश्राम का 7वां दिन है और उनके विश्वास में यह विशेष दिन है जब वे शांति का पालन करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं. शबात शुक्रवार शाम 5 बजे से शुरू होती है और सिविल कैलेंडर के अनुसार शनिवार शाम तक चलती है. वरिष्ठ पत्रकार और जेरूसलम के यहूदी शेरोन निज़ा का कहना है कि यह यहूदियों के लिए सबसे पवित्र दिन है.
निज्जा का कहना है कि हमास ने उस दिन हमला किया जब यहूदी विशेष दिन मनाते हैं जब वे मोबाइल फोन नहीं छूते, कोई गैजेट नहीं, यहां तक कि बिजली और कोई परिवहन नहीं, यही कारण है कि हताहतों की संख्या अधिक है.
इजरायल में लोग डरे हुए, लेकिन इजरायल लड़ेगा
निज्जा का कहना है कि स्थिति बहुत भयानक है और वह उन सभी की तरह डरी हुई है लेकिन इजरायल लड़ेगा. इजराइल के पुराने शहर जाफा की अपनी खूबसूरती है. प्राचीन शहर अपनी विविधताओं के बावजूद अपने विभिन्न धर्मों के लोगों को एकजुट नहीं कर सका. जब शब्बात शुरू होता है, तो शहर बंद हो जाता है. यहूदी और रूढ़िवादी यहूदी प्रार्थना के लिए सीधे पश्चिमी दीवार की ओर जाते हैं और मस्जिदों में अज़ान होती है. सूर्यास्त की आखिरी रोशनी, प्रार्थनाओं की आवाज और सड़क का सन्नाटा इजराइल के इस हिस्से में ज्वालामुखीय तनाव का एहसास कराता है.
पश्चिमी दीवार के पास एक ईसाई साइमन अपने पालतू जानवर के साथ खाली सड़कों पर सैर करता है. साइमन का कहना है कि हम सभी शांति से चले गए लेकिन यह मानव स्वभाव है कि हम लड़ते हैं. ईसाई आबे को सड़क पर ईसा मसीह के संदेशों का प्रचार करते हुए देखा जा सकता है, लेकिन यहूदी बहुल इलाकों में कोई श्रोता नहीं मिलता. आबे का कहना है कि ईश्वर एक ही है और यहूदी उसमें विश्वास नहीं करते इसलिए शांति नहीं है.
ईसाइयों को तवज्जो नहीं देते यहूदी
आबे जैसे कई ईसाई प्रचार करने के लिए पश्चिमी दीवार वाले इलाकों में आते हैं लेकिन यहूदी उन्हें तवज्जो नहीं देते. अक्सर यह अपनी-अपनी आस्था और भगवान के बारे में नारेबाज़ी पर ख़त्म होता है. शबाब के कारण यहूदी पूरी तरह से मौन रहते हैं और किसी भी गैजेट, यहां तक कि मोबाइल का भी उपयोग नहीं करते हैं, जो कि आस्था में वर्जित है. यहूदियों के पवित्र स्थान पश्चिमी दीवार स्थित अल अक्सा मस्जिद परिसर में यहूदियों और रूढ़िवादी यहूदियों को एक साथ प्रार्थना करते देखा जा सकता है. यह पोशाक प्राचीन है लेकिन हर युग में इसका अनुसरण किया जाता है.
यरूशलेम के अधिकांश स्थानों पर भी सड़कों पर कोई मूवर्स नहीं मिलता है. ट्राम लाइनें बंद हो गईं, बाजार बंद हो गए, भोजनालयों पर ताला लग गया. संघर्ष के कारण अरबों ने भी हिंसक टकराव से बचने के लिए शबात की रात को अपनी दुकानें बंद कर दीं. यहूदियों के प्रार्थना के बाद वापस घर पहुंचने के बाद सड़कों पर गश्त करने वाली पुलिस गाड़ियों के अलावा कोई अन्य गतिविधि नहीं होती है.
यरूशलेम में कुछ बहुत ही असामान्य है लेकिन उससे भी अधिक वह तूफान से पहले की शांति है. शहर में हर तरफ डर का माहौल है. जेरूसलम अब उतना प्राचीन शहर नहीं रहा, जितना वर्षों से था.
आशुतोष मिश्रा