तुर्की में यूरोपीय देशों के साथ शुक्रवार को परमाणु वार्ता करेगा ईरान

इज़रायल-ईरान जंग से पहले, तेहरान और वॉशिंगटन ने ओमान की मध्यस्थता में पांच दौर की परमाणु वार्ता की थी, लेकिन ईरान में यूरेनियम संवर्धन जैसी बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा था, जिसे पश्चिमी ताक़तें हथियारीकरण के किसी भी जोखिम को कम करने के लिए खत्म करना चाहती हैं.

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यूरोपीय देशों के साथ ईरान की परमाणु वार्ता (Photo: AFP) यूरोपीय देशों के साथ ईरान की परमाणु वार्ता (Photo: AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:02 AM IST

ईरान, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शुक्रवार को इस्तांबुल में परमाणु वार्ता करने वाले हैं. रॉयटर्स के मुताबिक, यह जानकारी ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को दी. तीनों यूरोपीय देशों ने चेतावनी दी है कि वार्ता फिर से शुरू न करने पर ईरान पर फिर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जाएंगे.

ईरानी सरकारी मीडिया ने एस्माईल बघाई के हवाले से कहा, "ईरान, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के बीच यह बैठक उप-विदेश मंत्री स्तर पर होगी."

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परमाणु वार्ता में कौन शामिल होगा?

शुक्रवार को होने वाली यह वार्ता यूरोप के तीन देशों के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख द्वारा गुरुवार को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची के साथ पहली बार बातचीत के बाद हो रही है. यह बातचीत एक महीने पहले इज़रायल और अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर किए गए हमले के बाद हुई थी.

चीन और रूस के साथ, ये तीन यूरोपीय देश ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते के शेष पक्ष हैं, जिससे अमेरिका 2018 में हट गया था. इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंधों के बदले में उस पर लगे प्रतिबंध हटा लिए गए थे.

अरागची ने इस हफ़्ते की शुरुआत में कहा, "अगर ईयू और तीनों यूरोपीय देश अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं, तो उन्हें ज़िम्मेदारी से काम करना चाहिए और धमकी और दबाव की घिसी-पिटी नीतियों को छोड़ देना चाहिए, जिसके लिए उनके पास बिल्कुल भी नैतिक और क़ानूनी आधार नहीं है."

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यह भी पढ़ें: पुतिन ने खामेनेई के सीनियर सहयोगी से की मुलाकात, ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हुई चर्चा

स्नैपबैक मैकेनिज्म का उपयोग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की 18 अक्टूबर को समाप्ति से पहले संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को बहाल करने के लिए किया जा सकता है.

इज़रायल-ईरान जंग से पहले, तेहरान और वॉशिंगटन ने ओमान की मध्यस्थता में पांच दौर की परमाणु वार्ता की थी, लेकिन ईरान में यूरेनियम संवर्धन जैसी बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा था, जिसे पश्चिमी ताक़तें हथियारीकरण के किसी भी जोखिम को कम करने के लिए खत्म करना चाहती हैं. 

तेहरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है.

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