खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपी निखिल गुप्ता की मुश्किलें दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं. चेक गणराज्य सरकार के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय न्यायिक अधिकारियों के पास निखिल गुप्ता के मामले में सुनवाई करने का कोई अधिकार नहीं है. निखिल गुप्ता फिलहाल प्राग की पैंक्रैक जेल में बंद है.
दरअसल, अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि एक अज्ञात भारतीय सरकारी कर्मचारी के इशारे पर निखिल गुप्ता ने न्यूयार्क में अमेरिकी नागरिक पन्नू को मारने की साजिश रची थी. इसके बाद अमेरिका ने निखिल गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी. अमेरिका की अपील पर चेक गणराज्य ने निखिल गुप्ता की गिरफ्तारी की है और प्रत्यर्पण करने की तैयारी में है.
अमेरिका और चेक गणराज्य की इस कार्रवाई पर निखिल गुप्ता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट 4 जनवरी को इस पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है.
भारतीय न्यायिक अधिकारियों के पास सुनवाई का अधिकार नहींः चेक गणराज्य
अंग्रजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निखिल के परिवार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के संबंध में चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि यह मामला भारतीय न्यायिक अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.
चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने कहा है कि किसी भी भारतीय न्यायिक अधिकारी के पास इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है. यह मामला चेक गणराज्य के सक्षम अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में है.
पिछले सप्ताह जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने भी निखिल के परिवार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें चेक गणराज्य के संबंधित अदालत में जाने के लिए कहा था. पीठ ने कहा था कि आपको संबंधित अदालत (चेक गणराज्य की अदालत) मे जाना होगा. हम यहां कोई निर्णय नहीं देंगे. यह विदेश मंत्रालय या किसी भी मंत्रालय के लिए बेहद ही संवेदनशील मामला है. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट 4 जनवरी को इस पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है.
निखिल के परिवार ने आरोप लगाया है कि वो अमेरिकी और भारतीय सरकारों के बीच कथित राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा चेक गणराज्य की अदालत में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की कमी और कांसुलर एक्सेस जैसे बुनियादी अधिकार नहीं मिलने का भी आरोप लगाया है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि निखिल को चेक गणराज्य में मांस खाने के लिए मजबूर किया गया, जबकि वह पूरी तरह से शाकाहारी है.
चेक गणराज्य ने इन आरोपों से इनकार किया
निखिल गुप्ता के परिवार की ओर से लगाए गए इन आरोपों पर चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका का कहना है कि न्याय मंत्रालय के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि निखिल गुप्ता या उनके वकील ने इसकी शिकायत की हो कि उन्होंने कांसुलर एक्सेस की अनुमति मांगी थी और उन्हें अनुमति नहीं दी गई. इसी तरह चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के पास इसकी भी कोई शिकायत नहीं की गई है कि उन्हें मांस खाने के लिए मजबूर किया गया.
रेपका ने आगे कहा कि चेक गणराज्य के कानून के अनुसार, देश में गिरफ्तार किसी भी विदेशी नागरिक के पास अधिकार है कि वह कांसुलर एक्सेस ले सके. वह कांसुलर ऑफिस के साथ बातचीत करने का हकदार है.
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