India Today Conclave 2024: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन विशेषज्ञों ने भारत की वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति और भविष्य की चुनौतियों पर खुलकर बात की. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन यानी ओआरएफ के अध्यक्ष समीर सरन ने इस दौरान कहा कि पिछला एक दशक परेशान करने वाला रहा है. चाहे कोविड महामारी हो, पड़ोसी देश अफगानिस्तान की स्थिति हो, रूस-यूक्रेन युद्ध हो या लेटेस्ट में मिडिल ईस्ट में छिड़ा युद्ध. इसके बावजूद ने भारत ने जिस तरह से इसका सामना किया वह सराहनीय है.
अगले पांच साल में भारत के सामने चुनौती पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "आगे की क्या चुनौती रहेगी अगर इसकी बात करें तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि लोग भारत को अगले कुछ सालों में किस तरह से विकसित होते हुए देखना चाह रहे हैं. वर्तमान में हम भारत में भारी निवेश, ग्लोबल ग्रोथ में भारत का महत्वपूर्ण योगदान और विभिन्न उपलब्धियों को एक उपलब्धि के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन इसी में छुपा हुआ एक शब्द है- कॉन्फिरमिटी. क्या हम उन्हें(निवेशकों) वो दे रहे हैं जो उनकी उम्मीदें हैं. चाहें वो फ्री मार्केट की बात हो, फ्री सोसाइटी की बात हो, फ्री डेमोक्रेसी की बात हो या पॉलिटिकल सिस्टम की बात हो.
सरन ने आगे कहा, "उसी तरह कई ग्लोबल संस्थाएं हैं जो रेंटिग जारी करती हैं. वह भी काफी महत्वपूर्ण है. इसलिए आपको संस्थागत रूप से भी तैयार रहना होगा. हालांकि, यह इतना भी आसान नहीं है. जापान का उदाहरण देख लें. दक्षिण कोरिया भी इस स्थिति से गुजरा है. यहां तक कि अमेरिका को भी इससे गुजरना पड़ा , तो इतिहास आपको सीखाता है कि उद्भव आसानी से संभव नहीं है. आपको इसके लिए लड़ना होगा.
भारत के लिए सबसे प्रमुख चुनौती 'भारत का नेबरहुड': बोर्गे ब्रेंडे
वहीं, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंडे ने कहा कि मेरे हिसाब से आर्थिक विकास और संस्थागत प्रभाव का एक सीधा सह-संबंध है. यह एक ऐसी चीज है जिसे हर बार देखा जाता है. यही कारण है कि रूस पिछले दो दशक से जूझ रहा है क्योंकि उसका आर्थिक विकास पहले की तुलना में नहीं है. यह फैक्ट है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. अगले एक दशक में भारत की इकॉनमी 3 ट्रिलियन डॉलर से 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी. इसके अलावा भारत यहां निवेश करने का भी मौका दे रहा है. भारत की आर्मी और डिफेंस काफी मजबूत है.
अगले पांच साल में भारत के सामने चुनौती की जहां तक बात है तो भारत के लिए सबसे प्रमुख चुनौती 'भारत का नेबरहुड' है. भारत-चीन विवाद के अलावा भी इस क्षेत्र में कई विवाद हैं और इसका प्रभाव पड़ता है एक देश पर पड़ता ही है. वास्तव में भारत कई मायनों में अभी ग्लोबली हनीमून पीरियड में है. खासकर यूरोप और अमेरिका में.
अमेरिका के साथ भी भारत का रिश्ता बेहतरः रुद्र चौधरी
किंग्स कॉलेज लंदन में लेक्चर और Carnegie India के डायरेक्टर रुद्र चौधरी ने इस दौरान कहा कि यह सच्चाई है कि भारत के सामने चुनौती है. वास्तव में भारत के लिए यह हनीमून पीरियड नहीं है. चुनौती यूरोप के साथ भी है. जब आप इकोनॉमिकली, पॉलिटिकली, स्ट्रेटजिकली ग्रो करते हैं तो चुनौती आना लाजमी है.यहां तक कि अपने विचार के देशों के साथ भी चुनौती आ सकती है.
अगले पांच साल के दौरान भारत के सामने चुनौती की बात करें तो पहली चुनौती है- जियोपॉलिटिकली चुनौती जो रूस-यूक्रेन युद्ध है. लेकिन इसके बावजूद मुझे लगता है कि भारत के लिए आगे भविष्य बेहतर है. क्योंकि पिछले पांच साल में हमने जो अपना स्थान सुनिश्चित किया है वो सराहनीय है. जो पहले काफी कठिन था. सबके लिए ये स्पेस बनाना इतना आसान नहीं है. आज अमेरिका के साथ भी भारत का रिश्ता बेहतर है. अमेरिका के साथ क्वांटम से लेकर एआई से लेकर डिफेंस टेक्नॉलोजी का रिश्ता है.
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