भारत ने म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव पर वोटिंग से खुद को अलग कर लिया. भारत का कहना है कि वो इस प्रस्तावित मसौदे से भारत असहमत है और पड़ोसी देश होने के नाते 'रचनात्मक दृष्टिकोण' जरूरी है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस मामले का शांतिपूर्ण समाधान करने की कोशिश कर रहा है.
दरअसल, म्यांमार ने पिछले साल से ही आपातकाल जैसे हालात हैं. वहां पिछले साल सेना ने तख्तापलट कर दिया था और कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था. इस मसले को लेकर शुक्रवार को UNGA ने एक प्रस्ताव पारित किया था. इसमें कहा गया था कि 8 नवंबर 2020 के आम चुनाव के नतीजों पर म्यांमार की सेना को आम लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए, ताकि देश में इमरजेंसी के हालात खत्म हों और लोगों के मानवाधिकारों को सम्मान मिल सके.
इस प्रस्ताव 119 देशों ने 'हां', बेलारूस ने 'नहीं' और भारत के साथ-साथ चीन और रूस ने वोटिंग से खुद को अलग कर लिया था. भारत ने इस प्रस्ताव पर 'असहमति' जारी की. यूएन में भारत के राजदूत टीएम तिरुमूर्ति ने कहा, "म्यांमार के हालातों पर भारत की स्थिति साफ है. म्यांमार में जो कुछ हो रहा है, हम उसके लिए गहरी चिंता व्यक्त करते हैं. हम हिंसा के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करते हैं और संयम बरतने का आग्रह करते हैं." उन्होंने ये भी कहा कि हम हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई का आह्वान करते हैं.
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