यूएन ट्रिब्यूल में भारत की बड़ी जीत! 85 अरब रुपये के दावे पर मॉरीशस की कंपनी को करारा झटका

भारत को 12 साल पुराने 2G स्पेक्ट्रम विवाद में बड़ी जीत मिली है. संयुक्त राष्ट्र ट्रिब्यूनल ने मॉरीशस की एक कंपनी के अरबों रुपये के दावे को खारिज कर दिया है. कंपनी का आरोप था कि वो एक निष्पक्ष निवेशक थी और उसे गलत तरीके से बाहर किया गया था. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने कंपनी का दावा स्वीकार नहीं किया.

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मॉरीशस की कंपनी को 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम में बाहर निकाला गया था (Representational Photo: PTI) मॉरीशस की कंपनी को 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम में बाहर निकाला गया था (Representational Photo: PTI)

नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

भारत ने 12 साल पुराने 2G स्पेक्ट्रम विवाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी जीत हासिल की है. इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल (United Nations Commission on International Trade Law) ने मॉरीशस स्थित कंपनी खैतान होल्डिंग का भारतीय सरकार के खिलाफ 96 करोड़ डॉलर यानी 85 अरब 14 करोड़ 95 लाख से ज्यादा रुपये के दावे को खारिज कर दिया है.

संयुक्त राष्ट्र के ट्रिब्यूनल ने मॉरीशस की कंपनी के सभी दावों को खारिज करते हुए भारत के खिलाफ किसी भी दावे को मान्यता नहीं दी. फैसले के साथ ही भारत सरकार के खिलाफ लंबित अंतरराष्ट्रीय निवेश विवाद खत्म हो गया है और इसमें जीत भारत की हुई है.

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2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में कई कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए थे. इसमें खैतान होल्डिंग भी शामिल थी. मॉरीशस की कंपनी Loop Telecom का हिस्सा थी. लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद कंपनी ने दावा किया था कि उसे अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर किया गया. कंपनी ने कहा कि वो एक निष्पक्ष निवेशक थी और उसे बाहर करना न्यायसंगत नहीं है.

भारत सरकार से मूल के साथ ब्याज भी मांग रही थी मॉरीशस की कंपनी 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, Loop ने जो 22 लाइसेंस भारत में मोबाइल सेवाएं शुरू करने के लिए हासिल किए थे, उनमें से 21 रद्द कर दिए गए. इसके बाद Loop Mobile ने काम बंद कर दिया, केवल मुंबई में लाइसेंस होने के कारण वो काम कर रहा था.

इसके बाद 2013 में खैतान ने मॉरीशस-भारत निवेश संधि के तहत संयुक्त राष्ट्र ट्रिब्यूनल में 51.6 करोड़ के साथ 44.4 करोड़ डॉलर ब्याज का दावा किया.

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भारत ने इस दावे की वैधता पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि ट्रिब्यूनल के पास मामले को सुनने का कोई आधार नहीं है. भारत ने मॉरीशस के साथ की गई संधि में किए गए बदलावों का हवाला दिया, जिसमें धोखाधड़ी या गलत कामों में शामिल निवेशकों को दावे से बाहर रखा गया है.

किसने की सुनवाई और भारत की तरफ से कौन हुआ शामिल?

मामले की सुनवाई न्यूजीलैंड, कनाडा और फ्रांस के ट्रिब्यूनल सदस्यों- कैम्पबेल मैक्लाचलन केसी, बिल रोले और ब्रिगिट स्टर्न ने की. उन्होंने खैतान के सभी दावों को खारिज कर दिया और भारत के खिलाफ कोई मामला नहीं पाया.

इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में भारत की तरफ से मामले में वरिष्ठ वकीलों और पूर्व सरकारी कानूनी सलाहकार शामिल हुए जिनमें शामिल हैं-

- वाशिंगटन डीसी स्थित लॉ फर्म Curtis Mallet-Prevost Colt & Mosle के जॉर्ज काहाले III

- दिल्ली स्थित Clarus Law Associates लॉ फर्म की अनुराधा आरवी

-सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और भारतीय विदेश मंत्रालय के पूर्व कानूनी सलाहकार जॉर्ज पोथान पूथिकोट

-हेग में भारतीय दूतावास की पूर्व कानूनी सलाहकार सौम्या केसी

-भारतीय विदेश मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव और लेबनान में भारत के राजदूत नूर रहमान शेख

-भारतीय विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के पूर्व कानूनी सलाहकार ज्योति सिंह

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इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल के फैसले की कॉपी और इसके फैसले की वजह अपनी पब्लिक डोमेन में नहीं है.

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