इजरायल और फिलस्तीनी आतंकी संगठन हमास में बीत तीन दिनों से युद्ध जारी है जिसमें अब तक दोनों तरफ से 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हैं. अब इजरायल के खिलाफ उसके एक और दुश्मन मुल्क लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने भी मोर्चा खोल दिया है और वो इजरायली सीमा में घुसकर हमले कर रहे हैं. वो इजरायली सीमा के जंगलों में घुस गए हैं.
जिस तरह से आतंकी संगठन हमास फिलस्तीन पर अपना शासन चलाता है वैसे ही हिजबुल्लाह लेबनान के कुछ हिस्सों पर शासन करता है. हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह इस संगठन के प्रमुख नेता हैं और इजरायल को वो भी अपना दुश्मन मानते हैं.
हिजबुल्लाह आतंकियों के हमले के बाद आशंका बढ़ गई है कि अब इजरायल को दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना पड़ सकता है. लेबनान की तरफ से हिजबुल्लाह आतंकियों के हमले का जवाब देने के लिए इजरायली डिफेंस फोर्सेज यानी की आईडीएफ ने मोर्चा संभाल लिया है.
लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने शेबा फॉर्म्स में एक इजरायली सैन्य चौकी पर हमले किया है. साल 1967 के युद्ध के दौरान इजरायल ने सीरिया से शेबा फॉर्म्स पर कब्जा कर लिया था. हिजबुल्लाह इसे लेबनान का हिस्सा मानता है.
हिजबुल्लाह ने किया है हमास का समर्थन
हिजबुल्लाह ने फिलस्तीन और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध में खुद को हमास के साथ बताया है. बता दें कि हिजबुल्लाह एक शिया आतंकी संगठन है और यह लेबनान में 1975 से 1990 तक चले गृहयुद्ध में अस्तित्व में आया था. इस आतंकी संगठन को ईरान अपना समर्थन और आर्थिक सहयोग देता है क्योंकि ईरान शिया मुसलमानों का देश है.
1982 में हुई थी इसकी स्थापना
1982 में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इस आतंकी संगठन की स्थापना की थी. इसका मकसद ईरान में हुए इस्लामी क्रांति को दूसरे देश में फैलाना और लेबनान में इजरायली सेना के खिलाफ मोर्चा खड़ा करना था. अब इस संगठन का दक्षिणी लेबनान के कुछ इलाकों पर शासन है. इस आतंकी संगठन पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है.
हिजबुल्लाह अपने संगठन में एक लाख से ज्यादा लड़ाके होने का दावा करता है. इस संगठन ने सीरिया में सुन्नी मुसलमानों से लड़ रहे वहां के राष्ट्रपति बशर अल असद की भी मदद की थी.
इजरायल को दुश्मन मानता है हिजबुल्लाह प्रमुख
यह संगठन साल 2006 में भी इजरायल की सीमा में घुस कर करीब 35 दिनों तक युद्ध लड़ चुका है. हिजबुल्लाह ने इजरायल में उस दौरान 158 लोगों की हत्या की थी और सैकड़ों रॉकेट दागे थे.
बीते दिनों हिजबुल्लाह के सुप्रीम नेता नसरल्लाह ने कुरान की प्रति जलाए जाने को लेकर भी बड़ा बयान दिया था. उसने कहा था कि मुस्लिम बहुल देश की सरकारें अगर ऐसे करने वाले लोगों को सजा नहीं देती है तो ऐसे देशों के मुस्लिम लोगों को ही उन्हें सजा देनी चाहिए.
कुणाल कौशल