कुवैत में विदेशी कामगारों के लिए बदल गया यह नियम, भारतीयों पर क्या होगा असर?

कुवैत ने जनसाख्यिकीय असंतुलन (demographic imbalance) समस्या को हल करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. भारत सरकार के मुताबिक, भारत के लगभग 10 लाख लोग कुवैत में रहते हैं. यह अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:54 PM IST

भारतीय कामगारों और पेशेवरों के लिए एक अहम देश कुवैत ने विदेशी कामगारों के लिए एक बड़ा बदलाव किया है. कुवैत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और आंतरिक मामलों के मंत्री शेख तलाल अल-खालिद अल-अहमद अल-जबर अल-सबा ने प्राइवेट क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों के लिए पार्ट-टाइम जॉब की अनुमति दे दी है.

कुवैत में सबसे बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी ही रहते हैं. कुवैत की कुल आबादी लगभग 46 लाख है, जिसमें लगभग 35 लाख विदेशी ही हैं. यानी कुवैत की कुल आबादी का 75 फीसद प्रवासी हैं, जिसमें भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा लगभग 10 लाख है.

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जनसाख्यिकीय असंतुलन को हल करने की कोशिश

कुवैत की न्यूज वेबसाइट अरब न्यूज के मुताबिक, कुवैत ने निजी क्षेत्र के प्रवासी कर्मचारियों को इस शर्त पर पार्ट टाइम जॉब करने की अनुमति दी है कि उन्हें पहले जिस कंपनी में काम कर रहे हैं, उससे पार्ट टाइम जॉब करने की अनुमति लेनी होगी. कुवैत ने यह कदम मंत्रिपरिषद के प्रोविजन के तहत जनसांख्यिकीय असंतुलन (demographic imbalance) समस्या को हल करने के लिए उठाया है. 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि निजी क्षेत्र के कर्मचारी अब प्रति दिन अधिकतम चार घंटे के लिए किसी अन्य कंपनी के साथ भी पार्ट टाइम जॉब कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें पब्लिक ऑथेरिटी फॉर मैनपावर (पीएएम) से परमिट की जरूरत होगी. इस फैसले का उद्देश्य भर्ती पर अधिकारों की गारंटी के विकल्प के तहत स्किल और एक्सपीरियेंस का लाभ उठाना है. इससे कुवैत में जनसांख्यिकीय असंतुलन को पाटने और लेबर मार्केट की जरूरतों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी. यह फैसला जनवरी 2024 की शुरुआत से प्रभावी होगा. 

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वर्क फॉर्म होम देने पर भी जोर

कुवैत के उप प्रधानमंत्री अल-खालिद अल-अहमद अल-जबर अल-सबा ने पब्लिक ऑथेरिटी फॉर मैनपावर को यह भी निर्देश दिया है कि अगर कर्मचारी ऑफिस आए बिना काम को पूरा कर रहे हैं तो कंपनियां अपने कुछ कर्मचारियों को रिमोट वर्क यानी घर से काम करने की भी अनुमति दें. इन निर्णयों और निर्देशों का उद्देश्य कंपनियों को सपोर्ट करना और प्राइवेट सेक्टर में टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट करना है, जिससे काम का माहौल बेहतर बनाया रखा जा सके. 

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