अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निजी आवास पर एफबीआई ने छापेमारी की. एफबीआई की यह छापेमारी गोपनीय दस्तावेजों से जुड़ी हुई है, जो बाइडेन के डेलावेयर स्थित आवास पर की गई. लेकिन इस छापेमारी में किसी तरह के गोपनीय दस्तावेज बरामद नहीं हुए हैं.
बाइडेन के अटॉर्नी ने जारी बयान में कहा कि यह छापेमारी राष्ट्रपति बाइडेन के पूर्ण सहयोग से साढ़े तीन घंटे तक चली. बाइडेन पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने निजी दफ्तर और घर में गोपनीय दस्तावेज रखे हुए थे. बताया गया था कि ये दस्तावेज उस समय के हैं जब वह 2009 से 2016 तक उपराष्ट्रपति थे. इस मामले में अमेरिकी न्याय विभाग जांच कर रही है.
2009-16 के बीच के हैं सीक्रेट दस्तावेज
बताया जा रहा है कि ये दस्तावेज उस अवधि के हैं, जब वह 2009 से 2016 तक देश के उपराष्ट्रपति थे. हालांकि इन दस्तावेजों के विवरण और इसका मैटर ज्ञात नहीं है. आरोप है कि इनका उपयोग बाइडेन ने 2017-19 तक किया, जब वह पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के मानद प्रोफेसर थे.
ट्रंप के घर से भी मिले थे सीक्रेट दस्तावेज
इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित आवास से सीक्रेट दस्तावेज मिले थे. इसमें विदेशी सरकार की परमाणु क्षमता के बारे में जिक्र था, हालांकि उस देश के नाम का खुलासा नहीं किया गया था. अदालत में दिए गए एफबीआई के हलफनामे के अनुसार, छापेमारी के दौरान ट्रंप के घर से 11000 से अधिक सरकारी दस्तावेज बरामद किए गए थे. इसमें कई तो विदेशों में हुए टॉप सीक्रेट ऑपरेशन से जुड़े हुए दस्तावेज भी थे.
क्या होते हैं Classified documents?
द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपनीय दस्तावेज (Classified documents) उन्हें कहा जाता है, जिनमें संवेदनशील जानकारी हो और इनके सबके सामने आने से अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेशी संबंधों को नुकसान पहुंचने के खतरे की आशंका रहती है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका में इस तरह से गोपनीय दस्तावेज संरक्षित किए जा रहे हैं. गोपनीय जानकारी में कागजी दस्तावेज, ईमेल, फोटोग्राफ, मानचित्र, चित्र, डेटाबेस और हार्ड ड्राइव शामिल हो सकते हैं. माध्यम चाहे जो भी हो, लेकिन ये जानकारी अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काफी अहम मानी जाती है. इन दस्तावेजों तक सिर्फ अधिकृत अधिकारियों की पहुंच होती है. अमेरिका में इन्हें तीन श्रेणियों में रखा गया है.
1- कॉन्फिडेंशियल- Classified documents की यह सबसे निचली श्रेणी है. माना जाता है कि इन सूचनाओं के बाहर आने से राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, सरकारी कर्मचारियों समेत हजारों लोगों की पहुंच इस जानकारी तक होती है. इसमें स्टेट डिपार्टमेंट या किसी विदेशी सरकार द्वारा प्रदान की गई जानकारी शामिल हो सकती है. हालांकि, भले ही इसमें अत्यधिक संवेदनशील जानकारी शामिल नहीं होती.
2- सीक्रेट- कॉन्फिडेंशियल से ज्यादा संवेदनशील जानकारी सीक्रेट में रखी जाती है. इसमें ऐसी जानकारी होती है, जिसके लीक होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पहुंचने की आशंका रहती है. इसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी का बजट जैसी जानकारियां शामिल होती हैं.
3- टॉप सीक्रेट- टॉप सीक्रेट Classified documents में अमेरिकी खुफिया जानकारियां शामिल होती हैं. इसमें सबसे संवेदनशील जानकारी रखी जाती है. ऐसे में इसतक सिर्फ सीमित लोगों की ही पहुंच होती है. इसमें गुप्त सोर्स से मिली जानकारी को खुफिया तरीके से सुरक्षित रखा जाता है. इतना ही नहीं अगर ये जानकारियां लीक होती हैं, तो न सिर्फ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा की आशंका रहती है, बल्कि व्यक्तिगत स्रोत भी खतरे में पड़ सकते हैं.
aajtak.in