टोरंटो शहर में पले-बढ़े भारतीय मूल के भाविक शर्मा ने किशोर उम्र में अपनी ज़िंदगी का नक्शा साफ़-साफ़ खींच लिया था. '25 की उम्र तक सब कुछ सेट होगा. अच्छी नौकरी, मोटी सैलरी, अपना घर और एक स्थिर ज़िंदगी'.
लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग निकली.
आज 27 साल के भाविक ओंटारियो के किचनर में अपने माता-पिता के साथ रह रहे हैं. टोरंटो के आसमान छूते किराए और रोज़मर्रा के खर्चों ने उन्हें वह शहर छोड़ने पर मजबूर कर दिया, जिसे वह कभी अपना भविष्य मानते थे.
भाविक कहते हैं- “हमारी पीढ़ी के लिए सब कुछ बदल गया है,”
“बचत करना सपना बन गया है. घर, खाना, ज़रूरतें — सब कुछ इतना महंगा है कि आगे की सोचने की हिम्मत ही नहीं होती.”
लगभग 30 साल पहले भारत से कनाडा आए अपने माता-पिता के बारे में बात करते हुए शर्मा ने कहा, “मुझे लगता है कि उस पीढ़ी में, उस दौर में, जीवन आसान था. नौकरी मिल जाती थी, पैसे बचते थे, घर खरीद सकते थे, कारोबार में निवेश कर सकते थे.”
अब, जब शर्मा अपने पहले घर के डाउन पेमेंट के लिए बचत कर रहे हैं, तो वे समझते हैं कि उनकी पीढ़ी के कई लोगों के लिए ये सब चीजें बाद में आती हैं. उन्होंने कहा कि घर से लेकर भोजन तक, हर चीज महंगी हो गई है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि शर्मा उन कनाडाई लोगों की पीढ़ी में से हैं, जिनके लिए सपनों की जिंदगी की कल्पना अस्थिर हो सकती है, जिससे उन्हें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि खुश रहने का क्या मतलब है और इसके लिए क्या करना पड़ता है। परिवार से लेकर आर्थिक स्थिति तक, कनाडा के युवाओं के लिए जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव बाद में आ रहे हैं और उनकी खुशी का स्तर तेजी से गिर रहा है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि आज के कनाडाई युवा अपने जीवन के लक्ष्य नए सिरे से तय कर रहे हैं. या कहें मजबूरी में बदल रहे हैं. घर खरीदना, परिवार शुरू करना और आर्थिक सुरक्षा पाना अब पहले से कहीं ज़्यादा देर से संभव हो रहा है.
World Happiness Report 2024 के अनुसार, 2011 तक 30 साल से कम उम्र के कनाडाई देश के सबसे खुशहाल आयु वर्ग थे. अब, वे सबसे दुखी हैं. ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड हैप्पीनेस पर दशकों से चल रहे अध्ययन के 2024 संस्करण में प्रतिभागियों से अपने जीवन को एक सीढ़ी के रूप में कल्पना करने के लिए कहा गया. शोध में शामिल 134 देशों में से कई देशों में खुशी का स्तर भी गिरा है.
134 देशों में, युवाओं की खुशी में सबसे तेज़ गिरावट कनाडा में दर्ज की गई है. केवल जॉर्डन, वेनेज़ुएला, लेबनान और अफ़ग़ानिस्तान में हालात इससे बदतर हैं. विडंबना यह है कि कुल मिलाकर कनाडा आज भी दुनिया के 15 सबसे खुश देशों में शामिल है लेकिन इसके युवा अंदर से टूट रहे हैं.
नौकरी, पैसे और अनिश्चित भविष्य
टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एंथनी मैककैनी कहते हैं, “पहले बड़ा होना एक तय रास्ता था — नौकरी, घर और सुरक्षा. अब यह रास्ता धुंधला हो चुका है.”
युवाओं की ज़िंदगी में घर खरीदने की असमर्थता, बचत न कर पाने की चिंता, अस्थायी और असुरक्षित नौकरियां, सोशल मीडिया और 24×7 न्यूज़ से बढ़ता मानसिक दबाव आम समस्याएं बन चुकी हैं.
27 साल की फिटनेस ट्रेनर टेलर आर्न्ट मानती हैं कि उन्हें अब यह स्वीकार करना पड़ रहा है कि शायद शादी या बच्चे उनके जीवन का हिस्सा न बन पाएं.
वहीं, 25 साल के थिवियन वर्नाकुमारन ने 400 से ज़्यादा नौकरियों के लिए आवेदन किए लेकिन आज वह माता-पिता के साथ रहते हैं और इसे मजबूरी नहीं, राहत मानते हैं.
UBC के प्रोफेसर जॉन हेल्लीवेल कहते हैं कि युवाओं की नाखुशी की वजह साफ़ है- नौकरी की अनिश्चितता, घरों की ऊंची कीमतें और रहने की असुरक्षा. Bank of Canada की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, घर खरीदने की क्षमता 41 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है.
रिश्ते और परिवार भी इंतज़ार में
Statistics Canada के आंकड़े बताते हैं, शादी की औसत उम्र 25 से बढ़कर 35 साल हो गई है. पहली बार मां बनने की उम्र 22 से बढ़कर 29 साल पहुंच गई है.
18 साल की वायलेट रोडे कहती हैं, “पैसे की चिंता ने प्यार, डेटिंग और बच्चों को पीछे धकेल दिया है.”
डिजिटल दुनिया का अदृश्य बोझ
सोशल मीडिया और लगातार ऑनलाइन रहने की मजबूरी ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को और कमजोर किया है. ध्यान भटकता है, तुलना बढ़ती है और तनाव गहराता है.
फिर भी उम्मीद बाकी
शोधकर्ता मानते हैं कि यह दौर स्थायी नहीं है. छोटी-छोटी खुशियां... परिवार, दोस्त, किताबें, छुट्टियां और स्थानीय समुदाय युवाओं के लिए संबल बन सकती हैं.
32 साल के लेखक निकोलस शॉर्न कहते हैं, “अब मैं दूर के सपनों की बजाय पास की खुशियों पर ध्यान देता हूं. छोटे लक्ष्य, सच्चे रिश्ते और आज की खुशी — यही अब मेरी प्राथमिकता है.”
हुमरा असद