कनाडा में सिख वकील की बड़ी जीत... अदालत ने बदला 100 साल पुराना कानून, किंग चार्ल्स की शपथ अब अनिवार्य नहीं

कनाडा में सिख युवक प्रभजोत सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शपथ से जुड़ा पुराना कानून बदल दिया है. प्रभजोत सिंह ने किंग चार्ल्स की शपथ लेने से इनकार करते हुए इसे अपनी सिख आस्था के खिलाफ बताया था.

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कनाडा में शपथ नियमों में ऐतिहासिक संशोधन (Photo: Representative) कनाडा में शपथ नियमों में ऐतिहासिक संशोधन (Photo: Representative)

अमन भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

कनाडा में एक सिख युवक की कानूनी लड़ाई के बाद अदालत को शपथ से जुड़ा सदियों पुराना कानून बदलना पड़ा है. पंजाब के जिला श्री मुक्तसर साहिब के गांव वड़िंग से संबंध रखने वाले प्रभजोत सिंह ने अपनी सिख आस्था के आधार पर यह लड़ाई लड़ी. प्रभजोत सिंह का जन्म वर्ष 1987 में कनाडा में हुआ था और उन्होंने हाल ही में वकालत की डिग्री हासिल की थी.

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कनाडा में वकालत शुरू करने के लिए उन्हें किंग चार्ल्स की शपथ लेनी थी. प्रभजोत सिंह ने यह कहते हुए शपथ लेने से इनकार कर दिया कि वे गुरु गोबिंद सिंह के सिख हैं और अपने गुरु से बड़ा किसी को नहीं मान सकते. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे वकालत करना चाहते हैं, लेकिन शपथ नहीं लेंगे.

इस मुद्दे को लेकर प्रभजोत सिंह ने पहले निचली अदालत में अपील दायर की. हालांकि, वहां से उनकी अपील खारिज कर दी गई. इसके बाद उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ कनाडा का दरवाजा खटखटाया और अपनी दलीलें रखीं.

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साल 1912 से लागू कानून पर विचार किया. अदालत ने फैसला दिया कि अब किसी भी व्यक्ति के लिए किसी भी पद पर जाने से पहले राजा की शपथ लेना अनिवार्य नहीं होगा. इस फैसले के बाद प्रभजोत सिंह को बड़ी राहत मिली है.

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इस निर्णय से न केवल सिख समुदाय बल्कि अन्य लोगों को भी राहत मिली है, जो शपथ से जुड़ी इस अनिवार्यता को लेकर असहज महसूस करते थे. इस फैसले की पूरे कनाडा में चर्चा हो रही है.

गांव वड़िंग में गर्व का माहौल

गांव वड़िंग में जब ग्रामीणों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि एक सिख युवक ने उनके गांव, पंजाब और भारत का नाम रोशन किया है. ग्रामीणों ने बताया कि प्रभजोत सिंह लंबे समय से कनाडा में रह रहे हैं और बचपन से ही गुरसिखी से जुड़े हुए हैं. उनका पूरा परिवार एक गुरसिख परिवार है और इस फैसले को सभी एक बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं.

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