चीन के सामने घुटने नहीं टेकेंगे, भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं... बोले बांग्लादेश के विदेश मंत्री

बांग्लादेश में हाल ही में संसदीय चुनाव हुए थे. शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ने चुनाव जीतकर सत्ता में वापसी की. ऐसे में बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमेन ने चुनावी नतीजों से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पड़ने वाले असर, चीन के साथ उसके संबंध और भारत-मालदीव के बीच मौजूदा राजनयिक तनाव पर चर्चा की.

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 बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन

इंद्रजीत कुंडू

  • ढाका,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:00 AM IST

बांग्लादेश के आम चुनाव में सत्तारूढ़ अवामी लीग की प्रचंड जीत से शेख हसीना एक बार फिर सत्ता में लौटी हैं. इस जीत के बाद शेख हसीना ने भारत के साथ करीबी संबंधों को याद करते हुए भारत को भरोसेमंद दोस्त बताया.

इस बीच इंडिया टुडे ने बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमेन से बात की, जिन्होंने इन चुनावी नतीजों से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पड़ने वाले असर, चीन के साथ उसके संबंध और भारत-मालदीव के बीच मौजूदा राजनयिक तनाव पर चर्चा की.

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जिस तरह से बांग्लादेश चुनाव हुए हैं. उसे लेकर आपकी राय क्या है? चुनावों में विपक्षी दलों के हिस्सा नहीं लेने और चुनाव प्रक्रिया के निष्पक्ष नहीं होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. 

बांग्लादेश में पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव हुए हैं. विपक्षी दलों के बायकॉट के बावजूद देश में बेहद विश्वसनीय तरीके से चुनाव हुए. इससे पता चलता है कि लोगों ने एक बार फिर वोट की अहमियत को समझा है कि बदलाव के लिए वोटिंग ही एकमात्र तरीका है.

लेकिन कुछ लोगों की पूर्वनिर्धारित धारणाएं हैं. चुनाव से पहले हिंसा की कुछ घटनाएं हुई थीं. हमने इसकी निंदा की थी. सीसीटीवी में अपराधियों को आसानी से पहचाना जा सकता है. राजनीति में हिंसा और आतंकियों का कोई स्थान नहीं है. किसी को भी आतंकियों की हौसलाअफजाई नहीं करनी चाहिए.

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आप उन पश्चिमी देशों से क्या कहेंगे, जो कहते हैं कि बांग्लादेश में अब लोकतंत्र स्थाई नहीं है?

लोकतंत्र बहुत स्थाई है. आपने हाल ही में देश में हुआ चुनाव देखा, जहां 12 करोड़ लोगों ने वोटिंग की. यह बहुत ही वास्तविक और बहुत प्रतिस्पर्धी चुनाव था. इसलिए बांग्लादेश में लोकतंत्र है और हम दुनिया में लोकतंत्र के अगुआ हैं. हमने स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय चुनाव का उदाहरण पेश किया है.

आप भारत-बांग्लादेश संबंधों को आगे किस तरह ले जा रहे हैं?

हमारे संबंध पहले ही बहुत मजबूत हैं. ये आज से नहीं बल्कि बांग्लादेश के गठन के समय से ही मजबूत हैं. हमारी आजादी की लड़ाई में भारत की जो भूमिका थी, उससे सब वाकिफ हैं. भारत ने हमारी आजादी के लिए हमारी तरह ही अपना खून बहाया है. इस तरह एक ऐतिहासिक कारण भी है. हाल के सालों में हमारी प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारा तालमेल बहुत बेहतरीन रहा. पीएम मोदी ने इसे गोल्डन चैप्टर बताया था और हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं. हमने एक स्ट्रैटेजिक साझेदारी विकसित की है. हम भविष्य में इसे और मजबूत करेंगे.

हाल में भारत और मालदीव के बीच राजनयिक तनाव देखा जा रहा है. मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. आप इस मामले को किस तरह देखते हैं?

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हम आमतौर पर एक दूसरे का सम्मान करते हैं. किसी भी तरह की टिप्पणी करने से पहले सोचना चाहिए. हमें पद और उस पद पर आसीन व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए.

इस क्षेत्र में चीन का प्रभुत्व लगातार बढ़ रहा है, फिर चाहे वह मालदीव हो या फिर बांग्लादेश. आप इसे किस तरह से देखते हैं?

यह बहुत ही गलत धारणा है. बांग्लादेश पर चीन का किसी तरह का प्रभाव नहीं है. चीन एक साझेदार देश है. वह कई प्रोजेक्ट्स में हमारी मदद कर रहा है, फिर चाहे वह मदद कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर हो या फिर एक्सपर्ट के तौर पर. अगर आप देखेंगे कि हमें चीन से कितनी आर्थिक मदद मिलती हैं तो यह जीडीपी का एक फीसदी से भी कम है. इस तरह यह ना के बराबर है.

यह एक तरह का प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है कि हम चीन के कर्जदार बनते जा रहे हैं. अगर कोई देश 55 फीसदी से अधिक उधारी लेता है तो वो किसी भी देश का कर्जदार बन सकता है. हमारा कुल उधार सिर्फ 13.6 फीसदी ही है. चीन को लेकर भारत का डर सही नहीं है. चीन एक दोस्त और साझेदार है. हम कोई भी मदद लेने से पहले बहुत विचार करते हैं. इसलिए लोगों को चिंतित नहीं होना चाहिए कि बांग्लादेश, चीन के सामने घुटने टेक देगा.

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भारत में पारित सीएए बिल के प्रभाव को आप किस तरह से देखते हैं. क्या इसका बांग्लादेश पर असर पड़ेगा?

भारत में एक बेहद मजबूत और परिपक्व सरकार है. भारत का नेतृत्व परिपक्व हाथों में है और उन्हें मजबूत परंपराएं विरासत में मिली हैं. भारत सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे भारतीय मूल्यों और सिद्धांतों को ठेस पहुंचे. इसलिए इसे लेकर हम चिंतित नहीं हैं.

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