'शरिया में इनकी कोई जगह नहीं', तालिबान ने अफगानिस्तान में सभी 73 राजनीतिक दलों को किया बैन

तालिबान ने अफगानिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियों पर बैन लगा दिया है. तालिबान सरकार के अंतरिम न्याय मंत्री शा-इख मौलवी ने कहा कि देश में राजनीतिक दलों की गतिविधियां पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं क्योंकि न तो इन दलों की शरिया में कोई जगह है और न ही कोई हैसियत है.

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तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा किया था. तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा किया था.

aajtak.in

  • काबुल,
  • 18 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

तालिबान की सत्ता वाले अफगानिस्तान में लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म हो गया है. तालिबान ने अफगानिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियों पर बैन लगा दिया है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार के अंतरिम न्याय मंत्री शा-इख मौलवी अब्दुल हक-ईम शराई ने कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक दलों की सभी गतिविधियों पर बैन है. 

शा-इख मौलवी ने बुधवार को तालिबान सरकार के 2 साल पूरे होने के मौके पर अपने मंत्रालय की रिपोर्ट पेश की. इस दौरान उन्होंने कहा, ''देश में राजनीतिक दलों की गतिविधियां पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं क्योंकि न तो इन दलों की शरिया में कोई जगह है और न ही कोई हैसियत है. उन्होंने कहा, इन दलों से कोई राष्ट्रीय हित भी नहीं जुड़ा है, न देश इन्हें पसंद करता है.

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डॉन के मुताबिक, यह बयान दिखाता है कि तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता पर एकाधिकार जारी रख सकता है और उसका देश में राजनीतिक बहुलता की अनुमति देने का कोई इरादा नहीं है. हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि राजनीतिक पार्टियों की गतिविधियों पर कब प्रतिबंध लगाया गया है. तालिबान लगातार अधिक समावेशी सरकार बनाने के अंतरराष्ट्रीय दबाव का विरोध कर रहा है. तालिबान का कहना है कि उनकी 'अंतरिम सरकार' में सभी जातियों और जनजातियों के प्रतिनिधि हैं और इसका आधार व्यापक है. 

अफगानिस्तान में 73 राजनीतिक पार्टियां

तालिबान ने अगस्त 2021 में काबुल पर कब्जा किया था. तब अफगानिस्तान में 73 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड थीं. तालिबान सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद ये सभी राजनीतिक पार्टियां निरर्थक हो गईं और अब आधिकारिक तौर पर इनके कामकाज पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. 

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लोकतंत्र का क्यों विरोध करता है तालिबान?

तालिबान सरकार इस्लामिक शरिया कानून के तहत काम करती है, जो लोकतंत्र के सिद्धांतों का समर्थन नहीं करता. लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल काम करते हैं और व्यक्ति अपनी पसंदीदा पार्टी को वोट देने के लिए स्वतंत्र होता है. लेकिन शरिया में लोकतांत्रिक आदर्शों को शामिल नहीं किया गया है. शासन शरिया कानून द्वारा निर्देशित होते हैं. 
 

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