टैगोर से लेकर अरिजीत सिंह तक... कोलकाता कांड के प्रदर्शनकारियों का हथियार बने ये गाने

प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों द्वारा तरह-तरह के गाने गाए जा रहे हैं. ऐसे गाने जो लोगों में आंदोलन की भावना को बढ़ा रहे हैं. आरजी कर अस्पताल में हुई घटना के विरोध में ये वो 5 गाने हैं जिन्होंने हलचल मचा दी है. गाने के बोल जितने अर्थपूर्ण हैं उतने ही दिल को छूने वाले भी.

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वो 5 गाने जो कोलकाता कांड में बने प्रदर्शनकारियों का हथियार (PTI) वो 5 गाने जो कोलकाता कांड में बने प्रदर्शनकारियों का हथियार (PTI)

aajtak.in

  • कोलकाता,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार-हत्या को लेकर राज्य में उबाल है. न केवल प्रदेश में, बल्कि देश-विदेश में भी लोग इस घटना के बाद आक्रोशित हैं. कोलकाता समेत राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हर दिन अलग-अलग विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. 

प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों द्वारा तरह-तरह के गाने गाए जा रहे हैं. ऐसे गाने जो लोगों में आंदोलन की भावना को बढ़ा रहे हैं. आरजी कर अस्पताल में हुई घटना के विरोध में ये वो 5 गाने हैं जिन्होंने हलचल मचा दी है. गाने के बोल जितने अर्थपूर्ण हैं उतने ही दिल को छूने वाले भी.

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टैगोर के गीत के साथ प्रदर्शन
 
आरजी कर घोटाले के विरोध में सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है 'पाथे एबर नमो साथी', जिसका अर्थ है सड़क पर आ जाओ दोस्त. सलिल चौधरी के बोल और धुन वाले इस गीत ने आंदोलन में एक नया आयाम जोड़ा है.

बलात्कार और हत्या के विरोध में नागरिक समाज लगभग हर दिन मोमबत्तियां जलाकर सड़कों और चौराहों पर इकट्ठा हो रहा है. हाथ में मोमबत्ती और होठों पर रवीन्द्रनाथ टैगोर का 'अगुनेर पराशमनी चोया प्राणे' का स्वर. आरजी कर के विरोध में हर कोई ये गाना भी गा रहा है. इसका अर्थ है 'आग बुझाने का यंत्र'.

प्रदर्शनों में गाया जा रहा काजी नजरूल इस्लाम का गीत

जूनियर डॉक्टर हाल ही में कोलकाता पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे की मांग को लेकर लालबाजार के पास धरने पर बैठे थे. पुलिस ने इसे लोहे के बैरिकेड से घेर लिया. जूनियर डॉक्टरों के विरोध के आगे आखिरकार पुलिस को पीछे हटना पड़ा और बैरिकेड खोल दिया गया. उस दिन प्रदर्शनकारियों की आवाज में काजी नजरूल इस्लाम का गाना 'करार ओय लौहकपत' सुनाई दिया. इसका अर्थ है लोहे का काम किसका? 

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विद्रोही कवि नजरूल का ये गाना बंगालियों के लिए एक इमोशन की तरह है. यह गीत काजी नजरूल ने देशबंधु चितरंजन दास के कारावास के बाद लिखा था. इस गीत ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक विशेष आयाम जोड़ा. ये गाना नजरूल की 'भांगर गान' काव्य पुस्तक में है.

अरिजीत सिंह ने भी बनाया गाना

'क्या यह देश तुम्हारे बाप का है?' इस गाने ने बांग्लादेश में चल रहे आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी थी. कलाकार नाजनीन अख्तर मौसमी चौधरी की आवाज में गाया यह गाना आरजी कर घटना के विरोध में भी सुना जा रहा है. गाने को एथुन बाबू ने लिखा है. आरजी कर का विरोध करने वाले भी इस गाने के जरिए अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं.

आरजी कर स्कैंडल के विरोध में अरिजीत सिंह का बनाया गाना 'आर कोबे' (और कब) ने भी आंदोलन की गति को बढ़ाया है. अरिजीत के इस गाने ने राज्य की राजनीति का पारा चढ़ा दिया है. तृणमूल के कुणाल घोष ने भी इसपर पलटवार किया है.

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