वाराणसी: फिर खुल गई 110 साल पुरानी 'चाची कचौड़ी' की दुकान, ग्राहकों का लगा तांता, बुलडोजर से कर दी गई थी जमींदोज

वाराणसी के लंका क्षेत्र में रविदास गेट के सामने 'चाची कचौड़ी' की दुकान एक बार फिर से शुरू हो गई है. इसके बाद से उन सभी स्वाद के शौकीनों में खुशी की लहर है जो 'चाची की कचौड़ी' के स्वाद के मुरीद थे. 

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बुलडोजर एक्शन में ध्वस्त हो गई थी 'चाची की कचौड़ी' शॉप बुलडोजर एक्शन में ध्वस्त हो गई थी 'चाची की कचौड़ी' शॉप

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी ,
  • 19 जून 2025,
  • अपडेटेड 6:14 PM IST

वाराणसी में सड़क चौड़ीकरण के लिए अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया गया, जिसकी जद में करीब 110 साल पुरानी 'चाची कचौड़ी' की दुकान भी आ गई. काशी वासियों और दूर-दराज से आने वालों पर्यटकों के लिए ये एक झटके की तरह था, क्योंकि लोग इस दुकान की कचौड़ी के दीवाने थे. हालांकि, अब उन लोगों के लिए खुशखबरी है. कुछ दिन बंद रहने के बाद 'चाची कचौड़ी' की दुकान फिर खुल गई. बस पता नया है. 

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आपको बता दें कि वाराणसी के लंका क्षेत्र में रविदास गेट के सामने 'चाची कचौड़ी' की दुकान एक बार फिर से शुरू हो गई है. इसके बाद से उन सभी स्वाद के शौकीनों में खुशी की लहर है जो 'चाची की कचौड़ी' के स्वाद के मुरीद थे. 

मालूम हो कि दो दिन पहले सड़क चौड़ीकरण को लेकर 'चाची कचौड़ी' की दुकान, फेमस 'पहलवान लस्सी' शॉप समेत कुल 35 दुकानें जमींदोज कर दी गई थीं. क्योंकि, यहां पर 6 लेन सड़क बननी है. 'चाची कचौड़ी' की दुकान के टूट जाने से उसके चाहने वाले काफी मायूस हो गए थे, लेकिन अब एक बार फिर ठीक पुरानी दुकान यानी मलबे के सामने 'चाची कचौड़ी' की दुकान खुल गई है. 

दरअसल, बनारस की एक विरासत के तौर पर खानपान की पुरानी और ऐतिहासिक दुकानों को भी देखा जाता है. उन्हीं में से एक लंका क्षेत्र के रविदास गेट के ठीक सामने 'चाची कचौड़ी' की दुकान है, जो करीब 110 साल पुरानी थी. इस दुकान की खासियत यह थी कि इसमें चाची अपने हाथों से जहां गरमा गरम कचौड़ी और जलेबी परोसती थीं तो वहीं उनके मुंह से गालियों की भी बौछार ग्राहकों पर हुआ करती थी. लोग इसका बुरा नहीं मानते थे, बल्कि उसे एक आशीर्वाद के तौर पर लेते थे. बड़े-बड़े नेता, अभिनेता और सेलिब्रेटी उनकी दुकान पर आ चुके हैं. 

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मगर 17 जून की देर रात रामलीला मैदान में 'चाची कचौड़ी' और पहलवान लस्सी की दुकानों समेत कुल 35 दुकानों को पीडब्ल्यूडी की ओर से बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया गया था. क्योंकि, वाराणसी के लहरतारा से लेकर लंका होते हुए भेलूपुर तक फोरलेन और सिक्स लेन की रोड बननी है. 

बुलडोजर की कार्रवाई के बाद 'चाची कचौड़ी' के स्वाद के दीवाने काफी मायूस और निराश हो गए थे, लेकिन ये मायूसी इसलिए ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी क्योंकि 'चाची कचौड़ी' की जमींदोज दुकान के मलबे के सामने फिर से ये शॉप खुल गई है. यहां पहले 'चाची कचौड़ी' की दुकान का गोदाम हुआ करता था, जिसमें खाने का आइटम तैयार होता था. अब इसका इस्तेमाल दुकान के तौर पर भी होना शुरू हो गया है. 

फिलहाल, दुकान का स्थान बदल जाने से स्वाद के दीवानों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. आज भी काफी संख्या में लोग 'चाची कचौड़ी' का लुत्फ लेने दुकान पर पहुंचे और प्रशासन को जमकर कोसा. साथ ही उचित मुआवजे और दुकानदारों को पुनर्स्थापित करने की मांग की. 

'चाची कचौड़ी' के बेटे कैलाश यादव जो इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, ने बताया कि अभी कुछ दिन नए स्थान पर एडजस्टमेंट करने में लगेगा, लेकिन कोशिश इस बात की है कि नई शुरुआत हो. यादव को अभी तक ना तो मुआवजे की राशि और ना ही पुनर्वास के बारे में किसी ने आश्वासन दिया है. दुखी मन से उन्होंने यह भी बताया कि तमाम हस्तियां, बड़े-बड़े नेता उनके यहां कचौड़ी तो खाने आते थे, लेकिन किसी ने एक फोन तक करके हाल-चाल नहीं लिया.   

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