छांगुर बाबा प्रकरण अब सिर्फ एक धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे प्रदेश में फैले एक संगठित रैकेट की शक्ल लेता जा रहा है. अब इस केस में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है. नूतन नसरीन, जो छांगुर बाबा की बेहद करीबी मानी जाती है, गिरफ्तारी से कुछ ही समय पहले अपनी सारी जमीन गिफ्ट डीड (हिबानामा) के ज़रिए ट्रांसफर करवाने की तैयारी में थी.
आरोप है कि इस साजिश की पूरी पटकथा गुलाम रब्बानी नाम के शख्स ने तैयार की थी, जिसने न सिर्फ कागजात बनवाए, बल्कि नूतन को लखनऊ बुलाकर गुपचुप तरीके से दस्तावेजों की प्रक्रिया भी पूरी करवाई. आजतक के पास मौजूद एक्सक्लूसिव दस्तावेज बताते हैं कि अहमद खान, जो छांगुर बाबा के बेहद करीबियों में शामिल है, ने खुद यह स्वीकार किया है कि गुलाम रब्बानी ने नूतन नसरीन की जमीन के गिफ्ट डीड तैयार करवाने में अहम भूमिका निभाई.
मिली जानकारी के मुताबिक 16 तारीख को यह प्रक्रिया पूरी होनी थी. नूतन नसरीन उस वक्त लखनऊ में गुप्त रूप से मौजूद थी. मकसद था जमीन को ट्रांसफर कराना और करोड़ों की रकम को हवाला के जरिए दुबई भेजना. लेकिन किस्मत ने दांव पलट दिया. ATS ने इससे पहले ही गिरफ्तारी कर ली और यह साजिश वहीं थम गई.
गहरी प्लानिंग और गहरी साजिश
यह मामला सिर्फ एक जमीन के गिफ्ट डीड तक सीमित नहीं है. एटीएस की शुरुआती जांच बताती है कि यह नेटवर्क धर्मांतरण, हवाला, विदेशी फंडिंग और राजनीतिक संरक्षण की परतों से जुड़ा हुआ है. दस्तावेज़ों से साफ है कि नूतन नसरीन की जमीन को ट्रांसफर कर जल्द से जल्द पैसा विदेश भेजने की योजना तैयार की जा चुकी थी. इस साजिश में स्थानीय प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत भी अब उजागर होने लगी है.
अफसरशाही की संदिग्ध भूमिका
पुलिस सूत्रों की मानें तो छांगुर बाबा की मदद करने वाले बलरामपुर में 2019 से 2024 के बीच तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदेह के घेरे में है. इनमें से एडीएम और इंस्पेक्टर के खिलाफ STF को पहले भी कुछ अहम सुराग मिले थे. अब इन चारों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी अंतिम चरण में है. इसके अलावा, दो तहसीलदारों समेत कई राजस्व कर्मियों को भी जांच के दायरे में लाया जा रहा है, जिन्होंने जमीन की खरीद-फरोख्त में आंख मूंदकर दस्तखत कर दिए.
पांच करोड़ का शोरूम
छांगुर बाबा की घुसपैठ सिर्फ धर्म और प्रशासन तक सीमित नहीं रही. सूत्रों की मानें तो उसने उतरौला के मनकापुर रोड स्थित करीब पांच करोड़ रुपये कीमत वाला एक शोरूम दहेज में लिया था. इसके अलावा, 12 नवम्बर 2023 को नीतू के नाम पर खरीदी गई एक जमीन, जो खतौनी में तालाब के रूप में दर्ज थी, को निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. इस पर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने एडीएम को पत्र भेजकर निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश की अवहेलना कर जमीन को पाटा गया.
कई पुलिस अधिकारी भी सवालों के घेरे में
यहां तक कि एफआईआर में दर्ज आरोपों के एवज में छांगुर बाबा को बचाने के लिए पुलिस विभाग के कुछ अफसरों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं. जानकारी के अनुसार, कुछ पुलिसकर्मियों ने भारी मात्रा में नकद रुपये और वाहन छांगुर बाबा से लिए थे ताकि उसे मामले में क्लीन चिट दी जा सके. ये सभी अब जांच एजेंसियों के रडार पर हैं और जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई की संभावना है.
मिशनरीज के लिए चलता था धर्मांतरण का फंडिंग नेटवर्क
एटीएस की पूछताछ में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है. छांगुर बाबा इंडो-नेपाल बॉर्डर के जरिए विदेशी फंडिंग लाकर मिशनरी संगठनों को देता था. बलरामपुर, श्रावस्ती, संतकबीर नगर, महाराजगंज जिलों में कुल 16 संस्थाओं की पहचान हुई है जिन्हें फंडिंग मिली और जिन्होंने इसका उपयोग गरीब, मजलूम और असहाय परिवारों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने में किया.
टारगेट वही, तरीका नया
बताया जा रहा है कि छांगुर बाबा और नीतू ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उनका फोकस सिर्फ लव जिहाद नहीं, बल्कि पूरे परिवार के धर्मांतरण पर था. लव जिहाद के जरिए एक लड़की का धर्मांतरण होता है, जबकि मिशनरीज नेटवर्क के ज़रिए पूरा परिवार एक साथ धर्म बदल देता है. यही कारण था कि छांगुर को बड़ी मात्रा में फंडिंग मिशनरीज से मिलती थी. पैसा, मोटरसाइकिल, जमीन, इलाज का खर्च, शादी के खर्च सब कुछ बाबा ही उठाता था. बदले में, एक पूरा परिवार अपना धर्म छोड़ देता था. सबसे पहले ऐसे परिवारों को चिन्हित किया जाता था जिनमें या तो किसी बेटी की शादी की चिंता होती थी या कोई गंभीर रूप से बीमार होता था. यहीं से शुरू होता था धर्म परिवर्तन का पूरा जाल.
आशीष श्रीवास्तव