इलाहाबाद से लोकसभा सांसद उज्ज्वल रमन सिंह ने महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के दौरान हुई भगदड़ का मुद्दा उठाते हुए मांग की कि केंद्र और यूपी सरकार दोनों को इस आयोजन के प्रबंधन में अपनी विफलता के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान लोकसभा में बोलते हुए, कांग्रेस सांसद ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सरकार पर उचित व्यवस्थाओं की तुलना में प्रचार को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया.
उन्होंने पूछा, "डबल इंजन सरकार के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों ने इस महाकुंभ का बड़े पैमाने पर प्रचार किया, देश भर से लोगों को आमंत्रित किया, लेकिन जब वे पहुंचे, तो उन्हें भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया. क्या यह शासन है या सरासर अक्षमता?"
उज्ज्वल रमन सिंह ने भगदड़ के दो मुख्य कारणों की वजह बताई - पंटून पुलों को बंद करना जिससे भीड़ का सुचारू रूप से आवागमन बाधित हुआ और अत्यधिक वीआईपी आवाजाही, जिससे बड़ी बाधा उत्पन्न हुई.
उन्होंने सवाल किया, "लोगों को रात में बिना विश्राम स्थल, शौचालय या पीने के पानी की सुविधा के नंगे पैर 20 किलोमीटर चलने के लिए मजबूर होना पड़ा. थके हुए श्रद्धालु, आसन्न अराजकता से अनजान, थकावट के कारण जमीन पर लेट गए. यह जानते हुए भी कि संगम नोज पर भारी संख्या में लोग एकत्र हो रहे हैं, उन्हें समय रहते क्यों नहीं मोड़ा गया? क्या यह डर था कि पंटून पुलों में इस्तेमाल की गई घटिया गुणवत्ता वाली लकड़ी के स्लीपर गिर जाएंगे?"
कांग्रेस सांसद ने तैयारियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया. सरकार की आलोचना करते हुए उज्ज्वल रमन ने कहा, "सरकार क्या साबित करना चाहती है? कि गरीबों की जान मायने नहीं रखती? मुझे बताएं, क्या इस भगदड़ में कोई वीआईपी मरा? क्या किसी अरबपति की जान गई? पीड़ित साधारण श्रद्धालु थे, "किसान, मजदूर और गरीब."
सांसद ने कहा, "जिम्मेदारी लेने के बजाय कुछ लोग यह प्रचार कर रहे हैं कि इन मौतों से 'मोक्ष' मिलता है. अगर ऐसा है, तो सरकारी सुविधाओं का आनंद लेने वाले लोग खुद ऐसा मोक्ष क्यों नहीं प्राप्त करते?"
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उज्ज्वल रमन सिंह ने दोहराया कि अगर सरकार ने पहले से ही चेतावनियों पर ध्यान दिया होता, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी. उन्होंने दावा किया कि वे एक साल से अधिक समय से अधिकारियों को आगाह कर रहे थे और मीडिया के माध्यम से अपर्याप्त तैयारियों के बारे में चेतावनी दे रहे थे, लेकिन कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई.
उन्होंने कहा, "मुझे एक बार भी किसी आधिकारिक योजना बैठक में नहीं बुलाया गया, जहां मैं अपनी राय साझा कर सकता था. सब कुछ अंतिम क्षण के लिए छोड़ दिया गया, जिससे अव्यवस्थित और विनाशकारी क्रियान्वयन हुआ."
इलाहाबाद सांसद का दावा- झूंसी में मची भगदड़, शवों को कूड़े के ढेर में फेंका गया
कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि झूंसी में भी भगदड़ मची थी, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान चली गई. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने इन मौतों को छिपाने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'तीन जगह भगदड़ हुई. सरकार बताने को तैयार नहीं कि कितनी भगदड़ कितनी जगहों पर हुई, कितने लोग मरे, कितने लोग बिछड़े, किसी का नाम तक नहीं बताया जा रहा. पांटून के 30 ब्रिज थे. 27 तारीख से ब्रिज बंद कर दिया. इस कारण व्यवस्था खराब हुई. लंबा चलकर आए लोग वहीं रेत पर सो गए. एक तरह सोते लोग और दूसरी तरफ जनता का सैलाब.'
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उन्होंने कहा कि जेसीबी लगाकर लोगों का समान उठाकर फेंकवाया गया. ये वीआईपी मेला नहीं था, आम श्रद्धालुओं का महाकुंभ है. लेकिन वीआईपी की हूटर और सायरन बचाती गाड़ियों में संतों की वाणी दब गई.
आपको बता दें कि महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे. महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी तक त्रिवेणी संगम के तट पर चलेगा.
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