लखनऊ के बंथरा थाने में तैनात एक इंस्पेक्टर और चार दारोगाओं के खिलाफ फर्जी मुकदमे में निर्दोष लोगों को फंसाने के आरोप में पीजीआई थाने में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है. मामला वर्ष 2020 का है, जब सरिया चोरी के झूठे केस में एक कारोबारी और अन्य चार लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे.
यह प्रकरण शासन के निर्देश पर एंटी करप्शन जांच में सामने आया, जिसमें पूरी एफआईआर को साजिशन तैयार पाया गया.
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आरोपियों की पहचान और भूमिका
एंटी करप्शन में तैनात इंस्पेक्टर नुरुल हुदा खान की तहरीर पर केस दर्ज किया गया. इसमें तत्कालीन इंस्पेक्टर क्राइम प्रहलाद सिंह और दरोगा संतोष कुमार, राजेश कुमार, दिनेश कुमार, आलोक कुमार सिंह को नामजद किया गया. जांच में सामने आया कि 31 दिसंबर 2020 को लोहा कारोबारी विकास गुप्ता और डाला चालक दर्शन जाटव को कथित 18 पीस सरिया चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.
फर्जी बयानों पर आरोप
इसके बाद मनगढ़ंत बयानों के आधार पर पहाड़पुर निवासी पूर्व बीडीसी सदस्य रंजना सिंह के पति लालता सिंह, उनके बेटे कौशलेंद्र सिंह, सतीश सिंह और शेखपुर निवासी कल्लू गुप्ता को भी आरोपी बनाया गया. इनमें से लालता और कल्लू को वर्ष 2022 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. एंटी करप्शन जांच में स्पष्ट हुआ कि सभी बयानों में झूठ और मनगढ़ंत तथ्य थे और पूरे प्रकरण को मिलकर रचा गया.
वर्तमान स्थिति और कार्रवाई
दारोगा आलोक कुमार सिंह वर्तमान में लखनऊ पुलिस लाइन में तैनात हैं और उनके निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अन्य आरोपी बहराइच में तैनात हैं. पीजीआई पुलिस संबंधित जिलों को रिपोर्ट भेजकर विभागीय कार्रवाई की तैयारी कर रही है. डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि एंटी करप्शन की तहरीर पर केस दर्ज कर विवेचना जारी है और साक्ष्यों के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले से लखनऊ पुलिस में फर्जी मुकदमे और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप उजागर हुए हैं, जिससे विभाग में साफ-सफाई और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है.
आशीष श्रीवास्तव