उत्तर प्रदेश के लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में धर्मांतरण प्रयास मामले को लेकर जांच प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. हिंदू संगठनों के तीव्र प्रदर्शन और दबाव के बाद जांच समिति का स्वरूप संशोधित किया गया है. प्रारंभिक समिति में महिला डॉक्टरों के अभाव पर भी सार्वजनिक रूप से चिंता जताई गई थी, जिसके कारण नए सदस्यों को शामिल किया गया है.
नई जांच समिति में अब प्रसूति और स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. अंजू अग्रवाल को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है, जो इस मामले में महिला प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती हैं. इसके साथ ही सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भावेश कुमार को भी शामिल किया गया है, जिससे जांच की विश्वसनीयता और व्यापकता बढ़ाने की कोशिश की गई है.
मामले में आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर को पहले ही निलंबित कर दिया गया है, और उसके खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है. समिति का उद्देश्य इस तरह के मामलों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करना है.
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सोमवार को नई समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें हिंदू संगठनों द्वारा आउटसोर्सिंग कर्मियों पर लगाए गए आरोपों की भी जांच की गई. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुल 3995 आउटसोर्स कर्मियों में केवल 289 ही अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित हैं. वहीं, पैथोलॉजी विभाग के 51 संविदा शिक्षकों में से केवल 2 अल्पसंख्यक हैं, जो आरोपों की आधारहीनता की ओर इशारा करता है.
इसके अलावा, जांच के दौरान बयान जारी करने के लिए एक अलग तीन सदस्यीय समिति भी गठित की गई है ताकि मामलों की प्रगति और निष्पक्ष जानकारी समय-समय पर सार्वजनिक की जा सके.
आशीष श्रीवास्तव