जिसके कत्ल के इल्जाम में ढाई साल जेल में रहा, वह जिंदा मिला... फिर कब्र में दफनाया गया शव किसका था?

यूपी के शाहजहांपुर में हत्या के आरोपी को ढाई साल बाद अदालत ने दोष मुक्त कर दिया गया. क्योंकि जिस व्यक्ति की हत्या हुई थी वह व्यक्ति जिंदा निकाला. अब उसी की गवाही के आधार पर शख्स को रिहा किया गया है.

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जिसके कत्ल के इल्जाम में ढाई साल जेल में रहा, वह जिंदा मिला जिसके कत्ल के इल्जाम में ढाई साल जेल में रहा, वह जिंदा मिला

विनय पांडेय

  • शाहजहांपुर,
  • 06 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:49 PM IST

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हत्या के आरोपी को ढाई साल बाद अदालत ने दोष मुक्त कर दिया गया. क्योंकि जिस व्यक्ति की हत्या के आरोप में वह जेल में था वह व्यक्ति जिंदा निकाला. मामला इस तरह है कि 16 दिसम्बर सन 2022 की रात को चलती हुई ट्रेन में मारपीट कर युवक को ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था. मामले में ढाई साल तक जेल में बंद आरोपी को कल बुधवार को अदालत ने दोष मुक्त कर रिहा करने का आदेश दिया.

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दरअसल, जिस व्यक्ति की हत्या में ढाई साल तक आरोपी जेल में रहा वह व्यक्ति जिंदा निकाला. उसी की गवाही के आधार पर अदालत में यह फैसला सुनाया गया है.  अधिशासी अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा का कहना है कि 16-17 दिसंबर 2022 की रात्रि को अयोध्या दिल्ली एक्सप्रेस के जनरल कोच में एक महिला का फोन चोरी हो गया था. लोगों ने शक के आधार पर एक व्यक्ति को पीट दिया. इस दौरान नरेंद्र दुबे भी उस व्यक्ति के साथ मारपीट करने लगा और उसे ट्रेन से धक्का दे दिया. वो व्यक्ति शाहजहांपुर का तिलहर स्टेशन पास गिरा था. इसके के बाद ट्रेन बरेली रुकी जहां जीआरपी ने नरेंद्र दुबे को गिरफ्तार कर लिया.

अब इसके बाद मृतक की बॉडी तिलहर स्टेशन पर बरामद कर ली गई. पोस्टमार्टम के बाद मृतक का फोटो जीआरपी पुलिस ने वायरल किया. 21 दिसंबर को बिहार के रहने वाले याकूब ने मृतक की पहचान अपने बेटे ऐताब के रूप में की. जल्द बाजी में याकूब ने शिनाख्त की थी जबकि मृतक उसका बेटा नहीं था. अब शिनाख्त हो गई थी तो अपने बेटे को उसने मृतक मान लिया और मुस्लिम रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. जबकि उसका बेटा गुजरात में था. 6 महीने बाद जब बेटा अपने घर बिहार के जिला मुजफ्फरपुर थाना क्षेत्र कुंडली गांव तरासन सुमेरा पहुंचा तब उसको जिंदा देखकर पड़ोसियों ने इसकी सूचना पुलिस को कर दी. 

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इसके बाद पुलिस उसको यहां ले आई और पेश किया गया. मुकदमा ट्रायल चलता रहा था. सारे बयान होने के बाद याकूब और उसके बहनोई, कथित मृतक ऐताब का बयान हुआ. ऐताब ने कहा कि मैं उसे ट्रेन में नहीं था. मेरे साथ कोई मारपीट नहीं हुई. मैं नरेंद्र दुबे को नहीं जानता हूं . उसके बाद न्यायालय ने नरेंद्र दुबे को दोष मुक्त कर दिया. लेकिन न्यायालय ने टिप्पणी की है नरेंद्र दुबे ने ट्रेन से जिस व्यक्ति को धक्का दिया था और उसके साथ मारपीट की थी उसकी मृत्यु हो गई थी वह बॉडी किसकी थी ये अज्ञात है. अब कोई उसकी शिनाख्त करता है. तो वह पुनः नरेंद्र दुबे के खिलाफ अपनी कार्रवाई न्यायालय में कर सकता है. उसमें यह आदेश बाधित नहीं करेगा. 

वहीं अधिशासी अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा का कहना है कि नरेंद्र दुबे मूल रूप से फैजाबाद तहसील के बिकापुर गांव में खेमा सराय का रहने वाला है. अब जो मृतक था आखिर वह कौन था. इसके लिए पुलिस जांच करेगी उसके बाद ही अगर कुछ पता लगेगा तो इस मामले में कार्रवाई पुनः शुरू हो जाएगी. हालांकि सवाल तो उठाता है कि आखिर दो गज जमीन के नीचे किसका शव दफन कर दिया गया.
 

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