'भगोड़ा अपराधी भी अग्रिम जमानत के लिए लगा सकता है अर्जी', इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की खंडपीठ ने कहा कि न तो धारा 82 सीआरपीसी और न ही धारा 438 सीआरपीसी घोषित (भगोड़े) अपराधियों द्वारा अग्रिम जमानत आवेदन दाखिल करने पर कोई प्रतिबंध लगाती है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एक आरोपी को जमानत दे दी.

Advertisement
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

अभिषेक मिश्रा

  • प्रयागराज,
  • 06 मई 2023,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक घोषित भगोड़ा अपराधी भी अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगा सकता है. उसको सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने से मना नहीं किया जा सकता है. के न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की खंडपीठ ने कहा कि न तो धारा 82 सीआरपीसी और न ही धारा 438 सीआरपीसी घोषित (भगोड़े) अपराधियों द्वारा अग्रिम जमानत आवेदन दाखिल करने पर कोई प्रतिबंध लगाती है.

Advertisement

सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक मामले में आरोपी उदित आर्य को अग्रिम जमानत दे दी, जिस पर अपनी पत्नी की दहेज हत्या के आरोप में आईपीसी की धारा 498-ए, 304-बी व 3/4 DP एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. प्रस्तुत मामला मेरठ के गंगानगर थाने का है, जहां पिता ने अपने दामाद पर दहेज हत्या का आरोप लगाया था और 2021 में FIR दर्ज कराई थी.

साथ ही अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया गया और यह निर्देश दिया गया कि उपरोक्त अपराध के मामले में अभियुक्त को अदालत की संतुष्टि के लिए एक व्यक्तिगत और दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने पर मुकदमे की समाप्ति तक अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए. जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने इस संबंध में लवेश बनाम राज्य (एनसीटी ऑफ दिल्ली) (2012) 8 एससीसी 730 के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि कि भगोड़ा अपराधी की अग्रिम जमानत अर्जी पर सामान्य रूप से विचार नहीं होना चाहिए.

Advertisement

अदालत ने वर्तमान मामले में कहा, "यह सच है कि लवेश (सुप्रा) में दिए गए फैसले में उक्त आवेदक को अग्रिम जमानत पर नहीं छोड़ा गया था, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कार्यवाही पूरी हो चुकी थी. लवेश (सुप्रा) के मामले में अग्रिम जमानत देने का सवाल ही नहीं था. सामान्य रूप से जब अभियुक्त फरार और भगोड़ा घोषित घोषित किया गया है, लवेश (सुप्रा) में फैसले का मूल "सामान्य रूप से" अभिव्यक्ति में था और जब अभियुक्त वारंट के निष्पादन से बचने के लिए फरार हो गया या उसने खुद को छुपा लिया."

इसके साथ, पीठ ने एक उदित आर्य को अग्रिम जमानत दे दी, जिस पर पिछले साल अक्टूबर में अपनी पत्नी की दहेज हत्या का आरोप लगाया गया था और इसलिए आईपीसी की धारा 498-ए, 304-बी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement