'समझौता मंजूर नहीं, अब एक ही समाधान है कि मुस्लिम पक्ष जगह को खाली कर दे', ASI की रिपोर्ट पर बोले हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन

Exclusive Interview: वकील विष्णु शंकर जैन ने aajtak से खास बातचीत में कहा, हम कोर्ट के माध्यम से अपना मंदिर हासिल करेंगे. जैन आगे बोले कि हिन्दू पक्ष अब मुस्लिम पक्ष से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा. मुस्लिम पक्ष खुद ही हिन्दुओं को मंदिर सौप दे.

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हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन.

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ ,
  • 26 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट सामने आने पर सब कुछ शीशे की तरफ साफ है. अगर कोई अब समझौते की बात करता है तो मंजूर नहीं होगा. इसका एक ही समाधान है कि मुस्लिम पक्ष जगह को खाली कर दे.

वकील विष्णु शंकर जैन ने aajtak से खास बातचीत में कहा, हम कोर्ट के माध्यम से अपना मंदिर हासिल करेंगे. जैन आगे बोले कि हिंदू पक्ष अब मुस्लिम पक्ष से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा. मुस्लिम पक्ष खुद ही हिंदुओं को मंदिर सौप दे. ASI की रिपोर्ट में साफ हो गया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. वजू खाने का ASI सर्वे कराने की मांग की जाएगी. जल्द ही ज्ञानवापी परिसर हमारा होगा. 

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हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वेक्षण रिपोर्ट से संकेत मिला है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी.

दरअसल, एएसआई की 839 पन्नों वाली सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां अदालत ने संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी हैं. जैन ने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि मस्जिद पूर्व में मौजूद मंदिर को तोड़कर उसके अवशेषों पर बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में मंदिर के अस्तित्व के पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई, जिस पर मस्जिद का निर्माण किया गया था.

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने अदालत में आवेदन किया था.

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बता दें कि हिंदू याचिकाकर्ताओं के यह दावा किया था कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था. इस पर अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंप दी थी. 

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