बिजनौर: मां के सामने से मासूम को खींच ले गया तेंदुआ, कर दिया लहूलुहान, मौत

बिजनौर के नजीबाबाद के बड़िया गांव में तेंदुए ने 8 वर्षीय बच्चे पर हमला कर उसकी जान ले ली. मां के साथ पानी भरते समय हुई इस घटना से गांव में दहशत फैल गई. गुस्साए ग्रामीणों ने दिल्ली–पौड़ी हाईवे जाम कर वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया. बीते 10 दिनों में जिले में तेंदुए के हमले से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है.

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तेंदुए ने ले ली 8 साल के मासूम की जान (Photo: ITG) तेंदुए ने ले ली 8 साल के मासूम की जान (Photo: ITG)

ऋतिक राजपूत

  • बिजनौर,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मंगलवार शाम एक दर्दनाक घटना सामने आई. यहां एक तेंदुए ने 8 साल के मासूम बच्चे की जान ले ली.घटना नजीबाबाद थाना क्षेत्र के बडिया गांव की है.

जानकारी के मुताबिक, पीड़ित 8 साल का हर्ष अपनी मां के साथ घर के बाहर नल से पानी भरने गया था. मां पानी भरने में व्यस्त थी और बच्चा उनके करीब ही खड़ा था. इसी दौरान गन्ने के खेत से निकलकर आए तेंदुए ने अचानक बच्चे पर हमला कर दिया और उसे उठाकर खेत की ओर ले गया.

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मां और आसपास मौजूद लोगों के शोर मचाने पर तेंदुआ कुछ दूरी पर बच्चे को छोड़कर भाग गया. घायल हर्ष को तुरंत समीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. बेटे की मौत से गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने शव को लेकर गांव में प्रदर्शन किया और दिल्ली–पौड़ी हाईवे पर जाम लगा दिया. मौके पर बड़ी संख्या में किसान यूनियन के कार्यकर्ता भी पहुंच गए और वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की. सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाने का प्रयास किया.

ग्रामीणों का कहना है कि गुलदार के लगातार हमलों से गांवों में दहशत का माहौल है. केवल बीते 10 दिनों में ही जिले में तीन मासूम बच्चों की जान तेंदुए के हमले में जा चुकी है. बावजूद इसके, वन विभाग की ओर से सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी बताई जा रही है.

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पीड़ित बच्चे के पिता गांव में चक्की चलाते हैं और परिवार में अब एक बड़ा बेटा बचा है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि वन विभाग ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. लगातार हो रही घटनाओं ने प्रशासन और वन विभाग की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जागरूकता अभियानों के बावजूद गुलदार के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिससे ग्रामीण भय और आक्रोश दोनों में जी रहे हैं.

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