'हां, ये सही है लेकिन क्या मुल्क में यही चलता रहेगा...', ASI रिपोर्ट पर बोले प्रोफेसर इरफान हबीब

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष ने कई दावे किए हैं. इसको लेकर मध्यकालीन और प्राचीन भारत के ज्ञाता प्रोफेसर इरफान हबीब ने प्रतिक्रिया दी है. कहा कि ये एक तरह से सही है. मगर, क्या अब मुल्क में यही चलता रहेगा कि कहां मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाए गए और कहां मंदिर तोड़कर मस्जिद.

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ASI की सर्वे रिपोर्ट पर बोले प्रोफेसर इरफान हबीब. ASI की सर्वे रिपोर्ट पर बोले प्रोफेसर इरफान हबीब.

अकरम खान

  • अलीगढ़,
  • 26 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष ने कई दावे किए हैं. गुरुवार को वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट सार्वजनिक की. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्ञानवापी (Gyanvapi) में पहले हिंदू मंदिर था. इस पर मध्यकालीन और प्राचीन भारत के ज्ञाता एवं पद्मभूषण से सम्मानित प्रोफेसर इरफान हबीब ने प्रतिक्रिया दी है. 

अलीगढ़ में प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि ये एक तरह से सही है. मगर, क्या अब मुल्क में यही चलता रहेगा कि कहां मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाए गए और कहां मंदिर तोड़कर मस्जिद. बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) का भी कोई तारीखी सबूत नहीं था कि वहां कोई मंदिर था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया. 

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ये भी पढ़ें- ASI रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ज्ञानवापी में हुई पहली जुमे की नमाज, चप्पे-चप्पे पर तैनात रही पुलिस

 

उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की जगह मंदिर होने के सवाल पर कहा कि हां यह सही है. इसका जिक्र कई किताबों में भी आया है. मगर, क्या देश में यही चलता रहेगा. मस्जिदों को तोड़कर मंदिर बनाने का सिलसिला आखिर कब तक चलता रहेगा. जहां मस्जिद हैं उन्हें तोड़कर मंदिर बना दिया जाए, ये सब गलत है. 

'ज्ञानवापी मामले में ASI के सर्वे की कोई जरूरत ही नहीं थी'

उन्होंने कहा कि इतने सालों से वहां मस्जिद है. क्यों उसको बदलकर मंदिर बनाया जा रहा है. बाबरी मस्जिद मामले में जो हुआ, उसका भी कोई तारीखी सबूत नहीं है कि वहां कोई मंदिर था. मगर, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया. इतिहासकारों से ज्यादा अब ये जरूरत है कि मुल्क में आप क्या बनना चाह रहे हो. 

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प्रोफेसर ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में ASI के सर्वे की कोई जरूरत ही नहीं थी. सर जदुनाथ सरकार की किताब पढ़ लेते तो सब समझ में आ जाता. अब जाहिल हैं, जिन्होंने नहीं पढ़ी. उसका क्या किया जाए.

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